शाहजहांपुर : मिर्जापुर कस्बे में बिजली विभाग की विजिलेंस जांच, बड़ी संख्या में पहुंचे पीड़ितों ने दी शपथ पत्रों के साथ गवाही

  • अवैध वसूली की शिकायतों पर एसपी व सीओ ने दर्ज किए पीड़ितों के बयान
  • मामले की शुरुआत, जब ‘जांच’ बनी उत्पीड़न का जरिया
  • बड़ी संख्या में पीड़ित आए सामने, शपथ पत्रों के साथ दी गवाही

भास्कर ब्यूरो

शाहजहांपुर। जिले के मिर्जापुर कस्बे और आस-पास के गांवों में बिजली विभाग के प्रवर्तन दल की दबंगई और अवैध वसूली की शिकायतों ने अब गंभीर रूप ले लिया है। बिजली विभाग की छापेमारी कार्रवाई अब संदेह के घेरे में है, क्योंकि इन छापों के पीछे कथित रूप से आम उपभोक्ताओं को धमका कर मोटी रकम वसूली गई। इस गंभीर मामले की जांच अब बिजली विभाग की विजिलेंस टीम द्वारा शुरू कर दी गई है।

बुधवार को विजिलेंस टीम के एसपी अरविंद कुमार मिश्रा व सीओ मीनाक्षी शर्मा के नेतृत्व में एक टीम बहेरिया गांव पहुंची, जहां पीड़ित उपभोक्ताओं से बातचीत कर उनके बयान दर्ज किए गए। यह कदम तब उठाया गया जब इस मामले को लेकर उपभोक्ताओं द्वारा जिलाधिकारी, एडीएम से लेकर क्षेत्रीय विधायक और भाजपा के लखनऊ कार्यालय तक गुहार लगाई गई थी।

10 मार्च से शुरू हुआ था विवाद

पूरा विवाद 10 मार्च से शुरू हुआ, जब मिर्जापुर के मजरा बहेरिया निवासी पंकज गुप्ता के घर बिजली विभाग के प्रवर्तन दल की टीम छापा मारने पहुंची। इस टीम में प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार यादव, अवर अभियंता उमाकांत, मुख्य आरक्षी महेश कुमार, सत्येंद्र कुमार, सोनू कुमार, रीना सागर और चालक शकील अहमद शामिल थे। लेकिन यह कार्रवाई विद्युत अधिनियम के नियमानुसार न होकर, कथित तौर पर अवैध वसूली के उद्देश्य से की गई।

पंकज गुप्ता का आरोप है कि जांच के नाम पर उन्हें प्रताड़ित किया गया और बाद में एक कर्मचारी का मोबाइल नंबर देकर कहा गया कि “मामला वहीं से सुलझा लिया जाए।” जब उक्त नंबर पर बात की गई, तो सीधे तौर पर 20 से 50 हजार रुपये की मांग की गई। इससे आहत होकर पंकज गुप्ता ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह, एडीएम वित्त अरविंद कुमार, स्थानीय विधायक हरि प्रकाश वर्मा और भाजपा के लखनऊ कार्यालय में उच्च पदस्थ नेताओं तक की।

पंकज गुप्ता अकेले नहीं थे। जांच में सामने आया कि बहेरिया गांव सहित आस-पास के कई गांवों के दर्जनों उपभोक्ता इसी प्रकार की प्रताड़ना और अवैध वसूली के शिकार हुए। इनमें ओमप्रकाश, सत्येंद्र मिश्रा, देवेंद्र पाल सिंह, अरुणा देवी, जगदीश मिश्रा, पुष्पा देवी, अभिषेक सिंह, राम खिलावन, सत्यप्रकाश गुप्ता, दिलीप गुप्ता, महेश चंद्र गुप्ता, अखिलेश गुप्ता, धर्मेंद्र मिश्रा आदि शामिल हैं। इन सभी उपभोक्ताओं ने एडीएम को दिए शपथ पत्र में यह स्पष्ट रूप से लिखा कि बिजली विभाग की टीम ने पहले उनके घरों पर बिना किसी स्पष्ट नोटिस या अनुमति के छापा मारा। फिर उन्हें डरा-धमकाकर एक कर्मचारी का नंबर दिया गया, जिससे बात करने पर वसूली की मांग की गई। कई पीड़ितों ने यह भी स्वीकारा कि उन्होंने डर के मारे पैसे दिए, ताकि मामला आगे न बढ़े और विभागीय कार्रवाई से बचा जा सके।

20 मार्च को जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने एडीएम वित्त अरविंद कुमार से इस मामले की जांच करवाई। एडीएम की रिपोर्ट में पीड़ितों के आरोपों की पुष्टि हुई। इसके बाद जिलाधिकारी ने प्रमुख सचिव ऊर्जा को पत्र भेजते हुए बिजली विभाग के प्रवर्तन दल के निलंबन की सिफारिश की। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन पीड़ितों की मांग है कि सिर्फ निलंबन नहीं बल्कि आपराधिक मुकदमा दर्ज कर दोषियों को जेल भेजा जाए।

उनका कहना है कि सरकारी पद का इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार और प्रताड़ना करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी इस तरह की मनमानी न कर सके।टीम ने आश्वासन दिया कि पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन जांच होगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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