दिल्ली हाईकोर्ट, कुतुबमीनार से संसद भवन तक: वक्फ बोर्ड के दावे पर गरमाई सियासत

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट 2025 को लेकर जारी सुनवाई अब सिर्फ एक कानूनी बहस नहीं रह गई है, बल्कि यह सरकार और न्यायपालिका के बीच संवैधानिक संतुलन के एक अहम इम्तहान में तब्दील हो गई है. बुधवार को हुई सुनवाई में जहां याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून को ‘संविधान के खिलाफ’ बताते हुए इसकी वैधता पर सवाल उठाए, वहीं केंद्र सरकार ने इसका बचाव करते हुए इसे अल्पसंख्यक समुदायों के हित में बताया.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं. कोर्ट आज भी इस मुद्दे पर सुनवाई जारी रखेगा और संभावना है कि अंतरिम आदेश के रूप में वह वक्फ कानून पर कुछ स्पष्ट दिशानिर्देश दे सकता है. इसके साथ ही आपको बताते चलते हैं कि वक़्फ बोर्ड ने देश की किन किन जगहों को वक़्फ़ प्रॉपर्टी घोषित की थी. इनमें नई संसद भवन से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट तक शामिल है. 

वक्फ के दावे वाली बड़ी संपत्तियां

  • हुमायूं का मकबरा (दिल्ली): 2010 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने ऐतिहासिक हुमायूं के मकबरे को अपनी संपत्ति बताया. उनका दावा था कि यह उन 150 से अधिक विरासत स्थलों में शामिल है जिन पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का अनधिकृत कब्जा है. बोर्ड ने इसे वक्फ संपत्ति घोषित करते हुए स्वामित्व की मांग की थी, जिससे केंद्र और बोर्ड के बीच संपत्ति अधिकार को लेकर विवाद खड़ा हुआ.
  • कुतुब मीनार परिसर में मुगल मस्जिद (दिल्ली): दिल्ली वक्फ बोर्ड ने कुतुब मीनार परिसर में स्थित मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति मांगी. उनका तर्क था कि यह एक ऐतिहासिक मस्जिद है और वहां धार्मिक प्रथा की अनुमति दी जानी चाहिए. ASI ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह एक संरक्षित स्मारक है और इसमें धार्मिक क्रियाकलापों की अनुमति नहीं दी जा सकती.
  • लुटियंस दिल्ली की 123 संपत्तियां: 014 में UPA सरकार के कार्यकाल में 123 संपत्तियां, जिनमें से अधिकतर लुटियंस ज़ोन में थीं, दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंप दी गईं. इन संपत्तियों की वैधता पर बाद में सवाल उठे। 2018 में NDA सरकार ने इन दावों की समीक्षा के लिए एक पैनल गठित किया, जिसने इन संपत्तियों की ऐतिहासिक स्थिति की जांच शुरू की.
  • प्रयागराज में महाकुंभ भूमि: जनवरी 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ मेले की भूमि को लेकर विवाद खड़ा हो गया जब कुछ मुस्लिम समूहों ने दावा किया कि वह ज़मीन वक्फ बोर्ड की है. इस दावे ने धार्मिक और प्रशासनिक हलकों में चिंता पैदा की, हालांकि बाद में राज्य सरकार और जांच एजेंसियों ने इसे निराधार बताया.
  • उत्तर प्रदेश की सरकारी संपत्तियां: यूपी सरकार ने खुलासा किया कि राज्य में वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई 78% जमीन असल में सरकारी रिकॉर्ड में ग्राम समाज या राज्य संपत्ति के रूप में दर्ज है. इससे वक्फ बोर्ड के भूमि दावों की वैधता पर सवाल खड़े हुए और अतिक्रमण के आरोप लगे.
  • थिरुचेंथुरई गांव (तमिलनाडु): तमिलनाडु के थिरुचेंथुरई गांव में वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव पर दावा कर दिया. इससे एक किसान, राजगोपाल, अपनी कृषि भूमि को बेचने में असमर्थ हो गया क्योंकि उसे वक्फ बोर्ड से NOC लेना जरूरी हो गया था. यह मामला स्थानीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन गया और लोगों ने इसे अपनी आजीविका पर संकट बताया.
  • सूरत नगर निगम की इमारत (गुजरात): गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की ऐतिहासिक इमारत ‘मुगल सराय’ पर दावा किया. बोर्ड ने कहा कि यह पहले तीर्थयात्रियों के लिए एक सराय थी और वक्फ संपत्ति थी. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि यह अब सार्वजनिक संपत्ति है.
  • मुनंबम में 400 एकड़ भूमि (केरल): केरल के एर्नाकुलम जिले के मुनंबम क्षेत्र में वक्फ बोर्ड ने लगभग 400 एकड़ भूमि पर दावा किया जो वर्षों से ईसाई समुदाय के पास थी. इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया और बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें चर्चों और सामाजिक संगठनों ने भी भाग लिया.
  • ईदगाह मैदान, बेंगलुरु (कर्नाटक): बेंगलुरु में ईदगाह मैदान को लेकर विवाद तब हुआ जब वक्फ बोर्ड ने इसे 1850 के दशक से वक्फ संपत्ति बताया. सरकारी रिकॉर्ड में इसका कोई आधिकारिक हस्तांतरण दर्ज नहीं है, लेकिन वक्फ बोर्ड का तर्क है कि एक बार वक्फ घोषित संपत्ति हमेशा वक्फ ही रहती है.
  • बेट द्वारका के द्वीप (गुजरात): गुजरात के पवित्र शहर द्वारका में वक्फ बोर्ड ने बेट द्वारका के दो द्वीपों पर स्वामित्व का दावा किया. गुजरात हाई कोर्ट ने इस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया और पूछा कि वक्फ बोर्ड ‘कृष्णनगरी’ में भूमि का दावा कैसे कर सकता है. कोर्ट के इस सवाल ने वक्फ के दावों पर कटाक्ष जैसा असर डाला.
  • दिल्ली हाईकोर्ट की इमारत: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने टिप्पणी की कि उन्हें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट की इमारत वक्फ भूमि पर बनी है. उन्होंने कहा कि “हम यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ दावे गलत हैं, लेकिन यह एक गंभीर चिंता का विषय है.”
  • नया संसद भवन (दिल्ली): AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने दावा किया कि नया संसद भवन वक्फ बोर्ड की भूमि पर बना है. इस पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसे सभी दावों को रोकने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक लाया गया है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में स्पष्ट किया कि सरकार इस तरह के अनुचित दावों को मान्यता नहीं देती.

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