
खामोशी में छिपा तहलका एसएसपी की गुप्त रणनीति का परिणाम,
साइलेंसर नहीं, शोर की फैक्ट्री थी दुकानें,
एसपी सिटी मानुष पारीक की दो टूक चेतावनी
बरेली।शहर में अब बुलेट और अन्य दोपहिया वाहनों की धड़धड़ाहट भरी आवाजें शायद कम सुनाई दें, क्योंकि इस बार पुलिस ने सीधे उन दुकानदारों पर चाबुक चलाया है जो गैरकानूनी तरीके से मोडिफाईड साइलेंसर बेचकर शहर के माहौल को जहरीली आवाज़ों से भर रहे थे। एसएसपी द्वारा जारी किए गए गोपनीय हेल्पलाइन नम्बर पर मिली पुख्ता सूचना के आधार पर कोतवाली पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 123 मोडिफाईड साइलेंसर जब्त किए हैं। यह कोई मामूली संख्या नहीं है—यह इस बात का सुबूत है कि साइलेंसर माफिया किस हद तक फैल चुका था।यह कार्रवाई कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं थी।एसएसपी अनुराग आर्य ने एक गोपनीय हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, ताकि आम जनता सीधे प्रशासन को सूचना दे सके। इसका नतीजा सामने है—मात्र एक सूचना पर कोतवाली पुलिस ने शिकंजा कसा और शहर में चल रहे इस गैरकानूनी धंधे को बेनकाब कर दिया। यह उस सोच की जीत है जिसमें आम नागरिकों को अपराध के खिलाफ भागीदार बनाया गया।
जिन दुकानों पर पुलिस ने छापेमारी की, वो किसी मोटर पार्ट्स की दुकानों से ज्यादा ‘शोर की फैक्ट्रियां’ बन चुकी थीं। युवाओं में स्टाइल और दिखावे के चक्कर में इन मोडिफाईड साइलेंसर की मांग बढ़ी, और दुकानदारों ने भी आंख मूंदकर इनकी बिक्री शुरू कर दी। उन्हें न कानून की परवाह थी, न जनता की परेशानी का कोई ख्याल। लेकिन अब एसएसपी की सख्ती ने यह साफ कर दिया है कि बरेली में कानून से खिलवाड़ नहीं चलेगा।
कार्रवाई के बाद एसपी सिटी मानुष पारीक का बयान भी उतना ही सख्त और साफ था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “मोडिफाईड साइलेंसर बेचना और लगवाना, दोनों ही गैरकानूनी हैं। यही कारण है कि हमने तुरंत टीम भेजी और मौके पर डेमो दिया गया। कई दुकानदारों से भारी मात्रा में साइलेंसर बरामद हुए हैं। अब सभी के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
“यह कोई हल्की-फुल्की कार्रवाई नहीं है। एसपी सिटी ने खुद बताया कि मोडिफाईड साइलेंसर लगाकर गाड़ी चलाने पर पांच हजार का जुर्माना है, वहीं बेचने वालों पर एक लाख तक का जुर्माना और 1 साल तक की जेल भी हो सकती है। यह संदेश उन सभी दुकानदारों के लिए है जो अभी भी यह सोचते हैं कि कानून को चकमा दिया जा सकता है।मोडिफाईड साइलेंसर सिर्फ शोर नहीं करते, ये समाज के चैन को लील जाते हैं। रिहायशी कॉलोनियों से लेकर तंग गलियों तक, बुलेट की कानफोड़ू आवाजें बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों के लिए एक अभिशाप बन चुकी थीं। यह शोर सिर्फ कानों को नहीं, मानसिक शांति को भी चोट पहुंचाता है। यह कार्रवाई उन लाखों लोगों के लिए राहत की खबर है, जो हर दिन इस ‘ध्वनि आतंक’ से जूझते थे।इन दुकानदारों को न सिर्फ कानून की जानकारी थी, बल्कि वे इस बात से भी वाकिफ थे कि यह सब अवैध है। इसके बावजूद वे यह धंधा सिर्फ पैसे के लालच में कर रहे थे।
इस कार्रवाई ने पुलिस की मंशा स्पष्ट कर दी है—अब शहर में किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारियों से लेकर सिपाही तक, हर स्तर पर अपराध के खिलाफ एक संगठित मुहिम शुरू हो चुकी है। जनता को अब यह समझना होगा कि कानून की आंखों में धूल झोंकना अब आसान नहीं है।