पीलीभीत: ऊंचे रेट का झांसा, मिलों में ‘करदा’ और ‘मुद्दत’ से दोहरी लूट!

भास्कर ब्यूरो

  • पूरनपुर में गेहूं की सरकारी खरीद पस्त, मिलर्स का खेल चरम पर , फ्री राशन योजना के लिए खतरे की घंटी!

पूरनपुर, पीलीभीत। एक तरफ सरकारी केंद्रों पर गेहूं खरीद की रफ्तार बेहद धीमी है, तो दूसरी ओर राइस मिलर्स खुलेआम सरकार से ज्यादा रेट पर गेहूं खरीद कर रहे हैं। सुनने में ये किसानों के फायदे की बात लगती है, लेकिन असलियत इससे कहीं ज़्यादा खौफनाक है। ऊंचे रेट का लालच दिखाकर मिलर्स न सिर्फ किसानों से गेहूं खींच रहे हैं, बल्कि ‘करदा कटौती’ और ‘मुद्दत’ के नाम पर दोहरा नुकसान भी दे रहे हैं।

सरकारी क्रय केंद्रों पर लक्ष्य मात्र दिखावा

पूरनपुर मंडी समिति क्षेत्र में अब तक मात्र 22,000 कुंतल गेहूं की सरकारी खरीद हो सकी है, जबकि केंद्रों को प्रतिदिन 600 कुंतल का लक्ष्य दिया गया है। हकीकत यह है कि दैनिक खरीद 300 कुंतल से भी नीचे चल रही है।
मंडी सचिव सर्वेश शुक्ला खुद मानते हैं कि खरीद की रफ्तार बेहद सुस्त है।

मिलर्स की मनमानी – कोई सीमा नहीं, कोई नियंत्रण नहीं

इसके विपरीत, राइस मिलर्स कितनी भी मात्रा में गेहूं खरीद सकते हैं — न कोई पाबंदी, न कोई सरकारी रजिस्टरिंग। वे समर्थन मूल्य (₹2425 प्रति कुंतल) से ऊपर ₹2400-2500 तक का रेट दिखाकर किसानों को अपनी ओर खींच रहे हैं।
लेकिन यहीं शुरू होता है असल खेल — जिसमें किसान ऊपरी रेट के भ्रम में उलझकर नुकसान झेल रहा है।

करदा के नाम पर तौल में सीधी चोरी!

मिलर्स प्रति कुंतल 1 किलो गेहूं “करदा” कटौती के नाम पर सीधे काट लेते हैं। यह कटौती नमी, छंटाई, तुलाई, मजदूरी या भाड़ा जैसे बहानों में शामिल कर दी जाती है।

100 कुंतल गेहूं देने पर किसान को केवल 99 कुंतल का भुगतान
₹2400 रेट के हिसाब से ₹2400 का सीधा नुकसान
यह प्रक्रिया पूरी तरह अपारदर्शी — न कोई रसीद, न कोई सरकारी मान्यता।

किसान मजबूरी में इस कटौती को स्वीकार करता है क्योंकि विकल्प सीमित हैं और सरकारी केंद्रों की स्थिति किसी से छिपी नहीं।

मुद्दत: रुपए में 1% की सीधी कटौती

‘मुद्दत’ के नाम पर मिलर्स कुल रकम से 1% की कटौती भी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए:

100 कुंतल × ₹2400 = ₹2,40,000
मुद्दत में कटौती = ₹2,400
कुल नुकसान (मुद्दत + करदा) = ₹2,400 + ₹2,400 = ₹4,800

किसान को केवल ₹2,35,200 ही मिलते हैं, जबकि उसने ₹2,40,000 का गेहूं दिया। यानी ऊंचे रेट का फायदा केवल कागज़ पर बचता है, असल में जेब से पैसा ही निकल रहा है।

किसानों की मजबूरी, सरकार की खामोशी

पूरनपुर और आस-पास के किसानों के पास मिलर्स के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा, क्योंकि सरकारी केंद्रों पर या तो खरीद धीमी है या प्रक्रिया जटिल। ऐसे में मिलर्स की चालाकी ‘जरूरत का फायदा’ उठाने का क्लासिक उदाहरण बन गई है।

एक किसान ने बताया, “सरकारी केंद्र पर बार-बार चक्कर लगते हैं, मिलर ने कहा 2400 देंगे। ट्रॉली पहुंची तो कहा – हर कुंतल पर 1 किलो कटेगा और मुद्दत भी लगेगी। जबरन मानना पड़ा।”

किसान नेता बोले: घटतौली, अवैध स्टॉक और सरकार की चुप्पी

किसान नेता मंजीत सिंह ने मिलर्स की खुली लूट पर सवाल उठाते हुए कहा:

“खाद्यान्न माफिया किसानों से कई प्रकार की कटौतियों के साथ गेहूं की खरीद कर रहे हैं। धर्मकांटों से घटतौली हो रही है और प्रशासन की छूट से गेहूं का अवैध स्टॉक भी लगातार बढ़ रहा है। मैंने संगठन के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को ज्ञापन भेजकर प्रति कुंतल ₹200 अतिरिक्त समर्थन राशि की मांग की है, ताकि किसानों को राहत मिल सके।”

आगामी संकट की चेतावनी – फ्री राशन योजना खतरे में?

यह स्थिति केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि सरकार की ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ जैसी फ्री राशन योजनाओं के लिए भी बड़ा खतरा है।
यदि राइस मिलर्स बड़े स्तर पर गेहूं स्टॉक कर लेते हैं और सरकारी खरीद लक्ष्य से नीचे रह जाती है —

तो सरकारी गोदामों में राशन की कमी हो सकती है

पीडीएस प्रणाली गड़बड़ा सकती है

और गरीबों को मिलने वाला मुफ्त अनाज बाधित हो सकता है

सरकार के पास समय है — लेकिन बहुत कम

यदि मंडी और आपूर्ति विभाग अब भी नहीं जागे, तो गेहूं का यह मौजूदा खेल सिर्फ लूट का मामला नहीं रहेगा —
बल्कि यह एक गहरा ‘नीति संकट’ बन सकता है।

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