
- अस्पताल में कैश काउंटर पर हुई चोरी का खुलासा
- पुलिस ने गिरफ्तार किए 6 शातिर अपराधी
भास्कर ब्यूरो
बरेली। कानून व्यवस्था का मजाक उड़ाते हुए एक बड़े निजी अस्पताल में चोरी की घटना का पुलिस ने खुलास कर दिया है। इस वारदात में खुद अस्पताल के कर्मचारी ही शामिल निकले। लेकिन इस संगीन वारदात का पुलिस, विशेषकर थाना इज्जतनगर की टीम और सर्विलांस सेल ने न सिर्फ सफल अनावरण किया, बल्कि 6 शातिर चोरों को धर दबोचते हुए 42,000 रुपये की नगदी भी बरामद की। वहीं अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और कर्मचारियों की संलिप्तता ने कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।
23 मार्च को निजी हॉस्पिटल, थाना इज्जतनगर क्षेत्र के अंतर्गत रात के अंधेरे में कैश काउंटर से 42,000 रुपये की चोरी हुई थी। इस संबंध में थाना इज्जतनगर में अज्ञात चोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।इस केस की गंभीरता को समझते हुए वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में थाना इज्जतनगर पुलिस और सर्विलांस सेल की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया, जिसे जल्द से जल्द घटना का खुलासा करने का जिम्मा सौंपा गया।टीम ने घटना की हर एंगल से जांच की और टेक्निकल सर्विलांस से लेकर फील्ड इंटेलिजेंस तक का इस्तेमाल किया।
आखिरकार रविवार को पुलिस ने मामले का सफल अनावरण करते हुए 6 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें से चार अभियुक्त अस्पताल में ही कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। वरुण पुत्र सुरेन्द्र पाल सिंह – संजय नगर, थाना बारादरी, शुभम पुत्र स्व. ओमकार – कांकरटोला, थाना बारादरी,सुमित पुत्र रूपराम – ग्राम लखुआ, थाना तिलहर, शाहजहाँपुर, चन्दन रावत पुत्र स्व. रामप्रताप रावत – कोहाड़ापीर, थाना प्रेमनगर, विवेक पटेल पुत्र भारत सिंह पटेल – संजय नगर, थाना बारादरी, सौरभ पुत्र हरनारायण – संजय नगर, थाना बारादरी, से पूछताछ में सामने आया कि इस पूरी वारदात का मास्टरमाइंड खुद अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी वरुण था। वरुण ने अपने अन्य तीन सहकर्मियों-शुभम, सुमित और विवेक पटेल- के साथ मिलकर योजना बनाई। इनके साथ दो अन्य दोस्त चन्दन रावत और सौरभ भी जुड़े। चोरी की योजना बिल्कुल फिल्मी अंदाज में बनाई गई थी।
घटना वाले दिन, 23 मार्च की रात 2 बजे, अभियुक्तों ने अस्पताल के गार्ड को बातचीत में उलझाकर भीतर प्रवेश किया। फिर इन छहों ने मिलकर कैश काउंटर से 42,000 रुपये चोरी किए और बाद में आपस में बांट लिए। इन रुपयों को उन्होंने अपने “शौक और ऐशो-आराम” में खर्च करने की योजना बनाई थी। इस वारदात ने सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुँचाया, बल्कि एक संवेदनशील संस्था-अस्पताल- की सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जब खुद अस्पताल के कर्मचारी ही अंदर से साजिश रचें, तो आम मरीज और उनके तीमारदारों की सुरक्षा का क्या होगा? क्या अस्पताल प्रशासन ने कर्मचारियों की कोई पूर्व पृष्ठभूमि जांच की थी? क्या सिक्योरिटी सिस्टम वाकई प्रभावी हैं? यह सवाल अब जनता के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन के लिए भी चुनौती हैं। इस केस में थाना इज्जतनगर पुलिस ने बेहद सराहनीय कार्य किया है।
टीम की तत्परता और योजनाबद्ध तरीके से की गई कार्रवाई ने यह दिखा दिया कि अगर पुलिस चाहे, तो कोई भी अपराधी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता। गिरफ्तार करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक बिजेंद्र सिंह (थाना इज्जतनगर) प्रभारी सर्विलांस सेल, व0उ0नि0 जावेद अली, उ0नि0 इसरार अली, हे0कां0 धनीश सक्सेना, कां0 विशाल, कां0 अनुराग और कां0 राजेश शामिल रहे। इन सभी अधिकारियों और सिपाहियों ने टीमवर्क और तकनीकी दक्षता का शानदार उदाहरण पेश किया।