
मुरादाबाद : संभल में हरिहर मंदिर था और हरिहर मंदिर ही रहेगा। विदेशी आक्रांता बाहर से आकर हमारी पहचान को नहीं मिटा सकते। यह देश ऋषि मुनियों का देश है ना कि अकबर और बाबर का है। यह बातें रविवार को संभल सदर के एक निजी पैलेस में संभल माहात्म्य पर आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय सचिव बालमुकुंद पांडे ने कही।
संभल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि चूंकि संभल पर हमारे विद्वान और इतिहासकार यहां के भौतिक सत्यापन के आधार पर यहां की लोक परम्पराओं के आधार पर ग्रंथों से अवलोकन करें कि वास्तव में संभल क्या था, कैसा था और कैसे परिवर्तन आया। साथ ही यह भी अध्ययन करें कि आज संभल कैसा होना चाहिए। उन्होंने संभल के विवादित धर्म स्थल जामा मस्जिद लेकर कहा कि हरि हर मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से है और हरिहर मंदिर था और हरि हर मंदिर रहेगा।
कार्यक्रम में इतिहासकार विग्नेश कुमार ने बताया कि देखिए यह बहुत ही महत्व का विषय है सम्भल माहात्म्य के लिए कला, संस्कृति और पुरातत्व की दृष्टि से सम्भल का विशिष्ट महत्व है। भारतीय इतिहास में वो अध्यात्म की दृष्टि से भी है और इतिहास की दृष्टि से भी है इससे सभी पक्ष उजागर होंगे इसी बड़ी पहल के लिए हम लोग आए हैं ओर बड़ा अच्छा महसूस कर रहे हैं।
इतिहास संकलन समिति के संयोजक अजय शर्मा ने कहा कि आज की संगोष्ठी में मेरठ प्रांत और संभल जनपद के लोगों ने भाग लिया। इस संगोष्ठी का आधार यही था कि युग युगों तक संभल रहा है और युग युगों तक संभल रहेगा। इसमें हम लोगों का क्या अधिकार है क्या कर्तव्य है हम लोग इसमें क्या कर सकते हैं और क्या करना चाहिए।