लोकरंग महोत्सव 2025 का आगाज : शायर एवं वैज्ञानिक गौहर रजा बोले…. यह हिंदुस्तानियत और खूबसूरती का जश्न

  • जोगिया जनूबी पट्टी में 18वां महोत्सव, पत्रिका के लोकार्पण से शुरूआत
  • देश के विभिन्न हिस्सों से आये कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोक संस्कृतियों को किया जीवंत

फाजिलनगर, कुशीनगर। सांस्कृतिक भड़ैती, फूहड़पन के विरुद्ध जनसंस्कृति के संवर्धन के लिये क्षेत्र के जोगिया जनूबी पट्टी में आयोजित दो दिवसीय 18 वां लोकरंग महोत्सव का भव्य आगाज लोकरंग पत्रिका 2025 के लोकार्पण से हुआ। इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों से आये लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोक संस्कृतियों को जीवंत कर दिया।

प्रख्यात लोक गायिका स्मृतिशेष शारदा सिन्हा को समर्पित अपना अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका लोकरंग महोत्सव 2025 का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि वरिष्ठ वैज्ञानिक लेखक और शायर गौहर रजा ने कहा कि इस दुनिया की सभ्यता से हम अलग नहीं है। उन्हें इस खूबसूरत आयोजन में आकर बहुत खुशी हो रही है। दुनिया की सभी सभ्यताओं की तरह भारत में सकारात्मक व नकारात्मक पहलू हैं। लेकिन हमारी सभ्यता में बहुत सी अच्छी बातें हैं । जिनका उत्सव मनाया जाना चाहिए। लोकरंग सही मायने में हिंन्दुस्तानियत और खूबसूरती का जश्न है। लोक संस्कृतियों को संजोने का बेहतर मंच है यह आयोजन। जो हमारे लोक संस्कृति के संरक्षण में महती भूमिका निभा रहा है। इसकी जितनी प्रशंसा किया जाय यह कम है।

लोकरंग का आगाज मतिरानी देवी, शान्ति, सुशीला, ज्ञान्ती रुखसाना सुभागी आदि महिलाओं द्वारा गाये गए गीत…से हुआ। इसके बाद आरा बिहार के राजू रंजन, सुनील कुमार, मनोज कुमार रोहित राज तथा सनोज कुमार की जन गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम को लोक परंपरा से जोड़ दिया। पिथौरागढ़ उत्तराखंड की प्रकाश रावत एण्ड पार्टी ने कुमायूं के प्रसिद्ध लोकनृत्य छोलिया प्रस्तुत कर लोकरंग को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। प्रकाश रावत के टीम में दीपक मनोज, ललित प्रसाद, महेश राम, राज मेहरा साहिल प्रसाद सागर आदि शामिल रहे।

कबीर गायकी से झूमे लोग ….

अंतरराष्ट्रीय कबीर गायक पदमश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया की कबीर गायकी से पूरा पंडाल झूम उठा। बिलासपुर मध्य प्रदेश से कमलेश के नेतृत्व में पहली बार आई आदिवासी गौड़ एवं धुलिया जनजाति लोकनृत्य की टीम ने कर्मा नृत्य प्रस्तुत लोकरंग में चार चांद लगा दिया। असम से आई सर्लिन रोघांग के नेतृत्व 24 सदस्यीय टीम ने कार्बी आंगलोंग आदिवासी, रीतनांग चिंगड़ी डांस प्रस्तुत कर सबको रोमांचित कर दिया। इस प्रस्तुति से असम की लोक परम्परा जोगिया में जीवन्त हो गया। अंत में ईप्टा पटना की टीम ने नाटककार असगर वजाहत द्वारा लिखी नाटक वीरगति का सजीव मंचन किया। यह एक व्यंग्यात्मक नाटक है जो सत्ता और समाज के बीच संघर्ष दिखता है।

नाटक के मंचन मोहम्मद दानिश, गुड़िया, सौरभ राय, इंतिखाब आलम, कुमार संजय, आविश वैद्य, कुमार गौरव, उज्ज्वल कुमार, आदित्य कुमार, राजन कुमार, दिनेश शर्मा, राजकुमार, सरिता पाल, प्रियांशी कुमारी, पीयूष सिंह तथा अमन आर्य ने किया। नाटक की परिकल्पना कन्हैया कैथवास तथा निर्देशन तनवीर अख्तर ने किया। कार्यक्रम का संचालन रीवा विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश कुशवाह ने किया। कार्यक्रम शुरु होने के पहले सभी आगन्तुकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए लोकरंग सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष व आयोजक सुभाष चंद्र कुशवाहा ने सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। इसके पहले दिन में लोकरंग महोत्सव में भाग लेने पहुंचे सभी कलाकारों को आयोजन समिति के सदस्यों ने माला और टीका लगाकर पारंपरिक तरीके से स्वागत किया।

गुरुवार को हुए बारिश के बावजूद सम्भावना कला मंच के सुधीर सिंह के नेतृत्व में पहुंचे राजीव कुमार, बृजेश, शिवांगी शर्मा, प्रिया मौर्या, रीती सिंह, शालिनी, सोनाली, आंचल, आदित्य भारद्वाज, रवि प्रकाश सिंह आदि ने दो दिनों में गांव के बखारों, दिवालों पर भित्ति चित्रों पेंटिंग, इंस्टालेशन, के साथ मंच सजाकर पूरे गांव को कला ग्राम में परिवर्तित कर दिया। इस आयोजन को सफल बनाने में विष्णुदेव राय, इसरायल अन्सारी, भुनेश्वर राय, हदीस अंसारी, इमरान अंसारी, असलम अंसारी, योगेन्द्र कुमार, अनुभव राय आदि का बिशेष योगदान है।

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