26/11 केस में फिर सुर्खियों में दयान कृष्णन, जानिए क्यों हैं ये नाम इतना अहम

शीर्ष आपराधिक वकील दयान कृष्णन 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत की ओर से कानूनी लड़ाई की कमान संभालेंगे। राणा को अमेरिका से लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस बहुचर्चित मामले में उसका अभियोजन करेगी।

दयान कृष्णन, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित आपराधिक वकीलों में से एक हैं, इस मुकदमे में भारत का पक्ष रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट में वर्षों का अनुभव रखने वाले कृष्णन 2010 में उस टीम का भी हिस्सा थे जिसने शिकागो में डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ की थी। अब वह तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत की कानूनी रणनीति का नेतृत्व कर रहे हैं।

64 वर्षीय राणा, जो पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक हैं, को एक चार्टर्ड विमान से दिल्ली लाया गया। शाम करीब 6:30 बजे उनकी फ्लाइट उतरी, जिसके तुरंत बाद NIA ने उन्हें गिरफ्तार किया। राणा की भारत वापसी 26/11 हमलों के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की भारत की वर्षों पुरानी कोशिशों में एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

दयान कृष्णन 1993 में भारत के पहले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLSIU) से स्नातक हैं और इसके पहले बैच का हिस्सा थे। उन्होंने 1999 में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की और जल्द ही भारतीय न्यायिक प्रणाली के एक प्रमुख चेहरा बन गए। उन्होंने 2001 के संसद हमले का मुकदमा, कावेरी जल विवाद और 2012 के निर्भया केस जैसे ऐतिहासिक मामलों में अहम भूमिका निभाई।

अंतरराष्ट्रीय प्रत्यर्पण मामलों में उनके अनुभव ने उन्हें इस केस के लिए एक उपयुक्त चुनाव बनाया है। 2014 में उन्हें डेविड हेडली और तहव्वुर राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। उन्होंने इससे पहले रवि शंकरन (2011) और रेमंड वर्ली (2012) जैसे हाई-प्रोफाइल प्रत्यर्पण मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

कृष्णन की कानूनी दलीलों ने अमेरिकी अदालतों को राणा की प्रत्यर्पण याचिका खारिज करने के लिए राजी किया, खासकर उसके “डबल जेपर्डी” (दोहरे खतरे) के तर्क को चुनौती देकर। मई 2023 में अमेरिकी मजिस्ट्रेट ने यह मान लिया कि अपराध की प्रकृति महत्वपूर्ण है, न कि आरोपी की मंशा। यह दलील बाद में अमेरिकी जिला अदालत और नौवीं सर्किट कोर्ट ने भी स्वीकार की।

राणा ने इसके बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे 21 जनवरी, 2025 को खारिज कर दिया गया। उनकी अंतिम पुनर्विचार याचिका भी 4 अप्रैल को ठुकरा दी गई, जिससे उनके भारत प्रत्यर्पण का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया।

इस मुकदमे में कृष्णन को विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान का सहयोग मिलेगा। मान एक अनुभवी आपराधिक वकील हैं, जिन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में CBI की ओर से पैरवी की है। इस कानूनी टीम में अधिवक्ता संजीवी शेषाद्रि, श्रीधर काले और एनआईए के वरिष्ठ वकील भी शामिल होंगे।

गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2008 को दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश कर शहर के कई स्थानों — सीएसटी स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और यहूदी केंद्र — को निशाना बनाया था। तीन दिन तक चले इन हमलों में 166 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। यह भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला माना जाता है।

तहव्वुर राणा पर इन हमलों की साजिश में शामिल होने का आरोप है। अब भारत की न्यायिक प्रक्रिया के तहत उस पर मुकदमा चलाया जाएगा, और इस लड़ाई का नेतृत्व करेंगे वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन।

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