
- परवाह: सिर्फ शब्द नहीं, संवेदनशील पुलिसिंग का चेहरा
बरेली। जोन में अपराध नियंत्रण और लॉ एंड ऑर्डर संभालने वाले एडीजी रमित शर्मा को सिर्फ एक पुलिस अफसर कहना उनके कार्यों की गहराई को कम कर देना होगा। वे एक ऐसी सोच के प्रतिनिधि हैं, जो सुरक्षा को सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं रखती, बल्कि जीवन की हर उस परत को छूती है जहां लापरवाही मौत बनकर सड़कों पर नाचती है। ‘परवाह “नामक उनका डिजिटल अभियान, सड़क सुरक्षा को लेकर शुरू की गई एक अभूतपूर्व पहल है, जो बरेली जोन की पुलिसिंग को मानवता से जोड़ता है।
हर साल भारत में सड़क दुर्घटनाओं में लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं। इनमें बड़ी संख्या युवा और परिवार के कमाने वाले सदस्यों की होती है। यह आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि उजड़ते घर, रोती मांएं और बेसहारा बच्चे हैं। ऐसे समय में एडीजी रमित शर्मा जैसे अधिकारी का ‘परवाह अभियान’ एक उम्मीद की किरण है। उन्होंने सड़क सुरक्षा को प्रशासनिक फाइलों से निकालकर आम जनमानस के दिलों तक पहुँचाया है।
‘परवाह’ शब्द जितना भावुक है, उतना ही क्रांतिकारी है इसका मकसद। बरेली जोन पुलिस ने डिजिटल माध्यमों जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और यूट्यूब का भरपूर उपयोग करते हुए इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाया।
खास बात यह है कि ये सिर्फ सूचना नहीं दे रहे, बल्कि एक सशक्त अपील है—एक चेतावनी, जो कहती है :
“हेलमेट पहनिए, सीटबेल्ट लगाइए, नशे में गाड़ी मत चलाइए, और रफ़्तार पर नियंत्रण रखिए। क्योंकि आपकी एक गलती सिर्फ आपकी नहीं, किसी और की भी ज़िंदगी छीन सकती है।”
एडीजी के नेतृत्व में बरेली जोन की पुलिस ने यह दिखा दिया कि एक जिम्मेदार अफसर वही होता है जो ‘अपराध घटाओ’ से आगे बढ़कर ‘जिंदगी बचाओ’ की मुहिम छेड़ दे। यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, एक सरोकार है। वह पुलिस फोर्स जो अक्सर डर का प्रतीक मानी जाती है, ‘परवाह’ अभियान के ज़रिए संवेदनशीलता और चेतना का प्रतीक बन गई है।
इस अभियान की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि यह केवल ऑनलाइन तक सीमित नहीं रहा। बरेली जोन के हर थाने को निर्देशित किया गया कि स्थानीय स्तर पर नुक्कड़ नाटक, रैली, बैनर-पोस्टर के माध्यम से इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाए। स्कूल, कॉलेज, ट्रैफिक चौराहों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशन तक ‘परवाह’ के संदेश को जन-जन तक पहुँचाया गया।
‘हेलमेट पहनें – सुरक्षा आपके हाथ में है’
‘सीटबेल्ट लगाएँ – छोटी आदत, बड़ी सुरक्षा’
‘नशे में ड्राइव न करें – ज़िंदगी से खिलवाड़ मत करें’
‘तेज़ रफ़्तार से बचें – कोई आपका इंतज़ार कर रहा है’
इन पंक्तियों में न कोई भाषण है, न प्रवचन—बस सच्चाई है। यही एडीजी रमित शर्मा की रणनीति की सबसे बड़ी ताकत है। सीधे शब्दों में गहरा असर पैदा करना।