
दिल्ली में बीजेपी सरकार अब पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा की गई कई नियुक्तियों को रद्द करने की योजना बना रही है। ये नियुक्तियां विभिन्न सरकारी बोर्डों, समितियों और अन्य संस्थाओं में की गई थीं। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने यह निर्णय लिया है कि आम आदमी पार्टी के शासनकाल में जिन समितियों, बोर्डों और संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियां की गई थीं, उन्हें रद्द कर दिया जाएगा।
बीजेपी सरकार का मुख्य तर्क यह है कि आम आदमी पार्टी ने इन पदों पर अपने नेताओं और समर्थकों को नियुक्त किया था, जो कि राजनीतिक नियुक्तियां थीं। इसीलिए, बीजेपी सरकार का मानना है कि इन नियुक्तियों का कार्यकाल समाप्त कर देना चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें जारी रखा जाए।
इन नियुक्तियों का असर कई महत्वपूर्ण सरकारी संस्थाओं पर पड़ेगा, जैसे दिल्ली जल बोर्ड, पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली हज समिति, तीर्थ यात्रा विकास समिति, उर्स समिति, हिंदी अकादमी, उर्दू अकादमी, साहित्य कला परिषद, पंजाबी अकादमी, संस्कृत अकादमी, और अन्य कई संस्थाएं। इन संस्थाओं में आम आदमी पार्टी द्वारा मनोनीत किए गए सदस्यों और पदाधिकारियों की नियुक्तियां अब रद्द की जाएंगी।
उदाहरण के तौर पर, पिछले साल आम आदमी पार्टी सरकार ने विधायक पवन राणा को दिल्ली जल बोर्ड का चेयरमैन और विनय मिश्रा को वाइस चेयरमैन नियुक्त किया था। इसी तरह, दिल्ली हज कमेटी में पूर्व आप विधायक अब्दुल रहमान और हाजी यूनुस को सदस्य मनोनीत किया गया था। पंजाबी अकादमी में भी आप विधायक जरनैल सिंह को वाइस चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
अब दिल्ली सरकार ने तय किया है कि इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया जाएगा और इन संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियों का दौर समाप्त किया जाएगा। इस फैसले के बाद, दिल्ली की राजनीति में नए विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी इस निर्णय को राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में पेश कर सकती है और इसे चुनावी मुद्दा बना सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले के बाद दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाती है।