
यमुनानगर : संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब सरकार के खिलाफ पुलिस द्वारा किसानों पर की जा रही बर्बरता और दमनकारी कार्रवाइयों को रोकने की मांग को लेकर जिला उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में किसान नेताओं ने पंजाब सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए और उनकी नीतियों की आलोचना की।
किसानों के अधिकारों की रक्षा की मांग
भाकियू (टिकैत) के जिला प्रधान सुभाष गुर्जर और अखिल भारतीय किसान सभा के जरनैल सिंह सांगवान ने कहा कि हाल के दिनों में पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों के जायज संघर्ष के खिलाफ दमनकारी अभियान चलाया है। उन्होंने बताया कि 5 मार्च से चंडीगढ़ में चल रहे सात दिवसीय धरने को पुलिस ने बाधित किया और पूरे प्रदेश को एक खुली जेल में बदल दिया।
19 मार्च को केंद्र सरकार के मंत्रियों से वार्ता के बाद लौट रहे किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा, शंभू और खनोरी में बुलडोजर से किसानों के धरना स्थलों को जबरन उखाड़ दिया गया और किसानों के ट्रैक्टर ट्रालियां और अन्य उपकरणों को तोड़ दिया गया। इसके साथ ही सामान चोरी होने की भी खबरें मिलीं।
लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का काम कर रही है और पुलिस राज स्थापित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कर्नल पुष्पेंद्र सिंह बाठ के खिलाफ पुलिस की बर्बरता और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करने का उदाहरण भी दिया, जहां लोगों के घरों को बुलडोजर से तोड़ा गया।
संयुक्त किसान मोर्चा की मांगें
संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य न्यायप्रिय संगठनों ने अपनी मांगों में कहा कि पुलिस द्वारा किए जा रहे अंधाधुंध बल प्रयोग को तुरंत रोका जाए और जनता के संघर्ष के लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की जाए। इसके साथ ही, गिरफ्तार किए गए किसानों को बिना शर्त रिहा किया जाए, किसानों के ट्रैक्टर ट्रालियों और उपकरणों को वापस किया जाए और पंजाब सरकार द्वारा क्षतिग्रस्त या चोरी हुए सामान की भरपाई की जाए।
आखिरी चेतावनी
किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को जल्दी पूरा नहीं किया गया, तो किसानों को मजबूरन सड़कों पर उतरने के लिए विवश होना पड़ेगा।
यह ज्ञापन किसानों के संघर्ष के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम है और पंजाब सरकार को उनके द्वारा किए जा रहे दमनकारी कदमों पर पुनर्विचार करने का संकेत देता है।