
Kajal soni
भारत की तुलना में अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया अधिक समय लेती है, क्योंकि पोस्टल बैलट और बैलट पेपर की गिनती कई दिनों तक चल सकती है, जिससे नतीजे समय पर घोषित नहीं हो पाते। 2024 के चुनावों में कैलिफोर्निया में भी ऐसा ही देखा गया था।
इसलिए अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश को लागू कराना आसान नहीं होगा। संविधान के तहत, प्रत्येक राज्य अपने चुनावी प्रक्रिया को निर्धारित करने का अधिकार रखता है। राज्य और स्थानीय अधिकारियों के पास चुनावी नियमों में बदलाव का मुख्य जिम्मा है, और केवल अमेरिकी संसद कुछ मामलों में दखल दे सकती है।
दरअसल अमेरिका में 98% लोग पेपर बैलट के जरिए वोट डालते हैं, जबकि पेपरलेस वोटिंग के आंकड़े बहुत कम हैं। इसके साथ ही, ट्रंप के आदेश में चुनाव सहायता आयोग को नियम बदलने का निर्देश दिया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति को आयोग के नियमों में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।
वहीं ट्रंप के करीबी एलन मस्क ने भारत की चुनाव प्रक्रिया की तारीफ की थी, जहां चुनाव तेजी से होते हैं और परिणाम जल्दी घोषित होते हैं।
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय चुनाव प्रक्रिया में कई अहम बदलावों के लिए कार्यकारी आदेश जारी कर दिए हैं . इसमें मतदाताओं के सत्यापन, वोटिंग प्रणाली, और मतगणना प्रक्रिया में बदलाव की बातें की गई हैं।
- नागरिकता सत्यापन: ट्रंप ने मतदान के लिए अमेरिकी नागरिकता का दस्तावेज़ी सबूत अनिवार्य किया है। यह कदम गैर-अमेरिकियों के वोटिंग को रोकने के लिए है।
- चुनाव दिन पर मतदान: ट्रंप का आदेश है कि मतदान का पूरा प्रक्रिया एक ही दिन में खत्म हो, और पोस्टल बैलट को चुनाव दिन तक ही स्वीकार किया जाए।
- मतगणना प्रक्रिया में बदलाव: ट्रंप ने मतगणना प्रक्रिया को पारदर्शी और मानकीकृत करने के लिए वोटिंग मशीनों और बैलट सिस्टम को संशोधित करने की मांग की है।
इसमें भारत का जिक्र करते हुए ट्रंप ने भारत की वोटिंग प्रणाली की तारीफ की है, जिसमें मतदाताओं का सत्यापन पुख्ता होता है। हालांकि, इन बदलावों को लागू कराना अमेरिका में संवैधानिक और कानूनी चुनौती का सामना कर सकता है।