लखनऊ: अधिवक्ता को शराब में पेशाब मिलाकर पिलाया, सिर पर हमला कर सोने की चेन छीनी

लखनऊ । राजधानी पारा इलाके में एक वकील को जबरन शराब पिलाई गई। वकील के जब इसका विरोध किया तो गिलास में पेशाब भरकर पिला दिया। शोर मचाने पर आसपास के लोगों ने बचाया। पुलिस मुकदमा दर्ज करके जांच कर रही है।

पीड़ित वकील शिवपुरी चौकी जलालपुर पारा के धीरसेन भट्ट हैं। धीरसेन ने बताया कि उनके क्लाइंट देवपुर पारा निवासी विनोद कुमार ने होली मिलने के लिए घर बुलाया। रात करीब 9 बजे उनके घर पहुंचे तो क्लाइंट ने बाहर बने ऑफिस में उन्हें बिठाया।

धीरसेन भट्ट ने बताया कि कुछ समय बाद उनकी क्लाइंट विनोद कुमार ने देसी शराब के डिब्बे लाकर उन्हें पेश किया। हालांकि, उन्होंने शराब पीने से मना किया, लेकिन विनोद और उसके साथी उनकी मर्जी के खिलाफ गिलास में शराब डालकर जबरन पीने के लिए मजबूर करने लगे।

इस दौरान, धीरसेन की नजर वहां लगी नेम प्लेट पर पड़ी, जिस पर बिना अनुमति के उनका नाम लिखा गया था। उन्होंने इसका विरोध किया, जिससे आरोपी भड़क गए और मारपीट पर उतर आए। एक व्यक्ति ने उनके सिर पर बेल से हमला किया, जिससे उन्हें चोट आई। इसी बीच, एक अन्य युवक ने गालियाँ देते हुए गिलास में पेशाब भरकर उन्हें पिलाने का प्रयास किया।

धीरसेन की स्थिति गंभीर होती देख, उन्होंने शोर मचाया, जिससे पास के लोग जुट गए और उन्हें बचाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, धीरसेन ने अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पारा थाना के इंस्पेक्टर ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और साक्ष्यों के आधार पर जांच की जा रही है। यह मामला कानून व्यवस्था के लिए गंभीर प्रश्न खड़ा करता है और पीड़ित की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए उचित कार्रवाई की आवश्यकता है।

यह घटना बेहद निंदनीय और क्रूर है, जहां एक वकील को न सिर्फ जबरन शराब पिलाने का प्रयास किया गया, बल्कि उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को भी गंभीर रूप से चोट पहुंचाई गई। धीरसेन भट्ट की स्थिति को देखते हुए, जो उनके नाम की नेम प्लेट पर आपत्ति उठाने पर भड़क गए लोगों के गुस्से का शिकार बने, यह स्पष्ट है कि यह मामला केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं था, बल्कि एक बड़ी सामाजिक समस्या का भी संकेत है।

इस घटना में जो हिंसा का स्तर था, वह अत्यंत चिंताजनक है। एक व्यक्ति के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करना जो उन्हें सम्मान से पेश आए, न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि समाज के मूल्यों के भी खिलाफ है। पुलिस द्वारा केस दर्ज करके जांच करने का निर्णय सही है, लेकिन यह आवश्यक है कि इस मामले में उचित और त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जाए।

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