
काेटा। वन विभाग दो दिन पहले शंभूपुरा के सीनियर सैकंडरी स्कूल के पास झाड़ियों में मिले भालू के शावक काे उसकी मां से मिलाने का प्लान बना रहा है। भालू के शावक की मां का मूवमेंट दूसरे दिन भी नहीं मिला। विभाग की टीम ने रात को शोपुरिया से शंभूपुरा तक 10 किलोमीटर में सर्च किया। इस दौरान शावक को गत्ते के कार्टन में रखकर मादा शावक के आने का इंतजार किया गया। लेकिन मादा शावक नहीं आई। इसके बाद टीम शावक को वापस अभेड़ा पार्क में ले आई। अब शावक को मां से मिलाने के लिए दूसरे प्लान की तैयारी की जा रही है।
वन्य जीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि शंभूपुरा में मिले शावक की उम्र 20 दिन से एक महीने के बीच है। टीम ने सोमवार रात को चार बजे तक मादा शावक के मूवमेंट पर नजर रखी। फिर मंगलवार को जिस जगह मादा शावक का मूवमेंट रहता है वहां मॉनिटरिंग की। लेकिन मादा शावक का मूवमेंट नही मिला। शावक छोटा है उसे अकेले नहीं छोड़ सकते। जानवरों के हमले का डर है। ऐसे में विभाग ने दो प्लान तैयार किए हैं।
भटनागर ने बताया कि अभेड़ा के जिस एरिया में भालू का मूवमेंट रहता है वहां केज (जानवर को ट्रैप करने का सिस्टम) लगाएंगे। जहां बकरी को बांधते हैं वहां तो शावक को रखेंगे। दूसरे वाले एरिया में मादा भालू के आने का इंतजार करेंगे। अगर मादा ट्रैप हो जाती है तो दोनों को वहां से केज में उठाकर किसी एक जगह पर रिलीज कर देंगे।
दूसरा प्लान ये है कि जिस जगह मादा भालू का मूवमेंट रहता है। वहां लकड़ी का छोटा केज (पिंजरा) बनाकर शावक को रखेंगे। वहां चारो तरफ कैमरे लगाकर नजर रखेंगे। मादा शावक वहां आती है तो वो शावक को निकालने की कोशिश करेगी। वो आराम से लकड़ी के केज को तोड़ लेगी। लकड़ी का केज ज्यादा मजबूत नहीं होगा। विभाग की टीम मौके पर रहकर पूरी तरह से मॉनिटरिंग करेगी। दूसरे जानवर आने की स्थिति पर नजर रखेगी।
दो दिन पहले शंभूपुरा के सीनियर सैकंडरी स्कूल के पास झाड़ियों में भालू का शावक आ गया। आवाज सुनकर बच्चे उसे बचाते हुए स्कूल ले आए थे। उसके बाद वन्यजीव विभाग की टीम को सौंप दिया था।