
- विजिलेंस टीम की कार्रवाई में सामने आया बड़ा घोटाला
बरेली। बिजली विभाग में निजीकरण का विरोध करने वाले कर्मी खुद भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए। विजिलेंस टीम की छापेमारी में ऐसा खुलासा हुआ जिसने पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। भ्रष्टाचार का यह मामला संविदा कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारियों तक फैला हुआ था, जहां अवैध मीटरों के जरिये बिजली चोरी कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा था।
फरीदपुर क्षेत्र में विजिलेंस टीम को सूचना मिली थी कि एक संविदा कर्मचारी अवैध रूप से बिजली चोरी करवा रहा है। इस पर टीम ने तत्काल छापा मारा। छापेमारी के दौरान टीम ने जो देखा, वह चौंकाने वाला था। जिस घर में टीम पहुंची, वह कोई आम उपभोक्ता नहीं, बल्कि बिजली विभाग का संविदा कर्मचारी रोहितथ शर्मा उर्फ लाल करन था।
जब विजिलेंस टीम की हेड कांस्टेबल उत्तरा ने घर में प्रवेश किया, तो आरोपी ने उन्हें अंदर बंद कर बदसलूकी करने की कोशिश की मगर हेड कांस्टेबल के साथ विजिलेंस की पूरी टीम घर को घेर लिया और अपने साथी को बाहर निकाल। अब यह दर्शाता है कि यह गोरखधंधा कितनी दबंगई के साथ चल रहा था। लेकिन टीम ने सूझबूझ से कार्रवाई जारी रखी और घर की तलाशी ली, तो वहां से बिजली मीटरों का जखीरा बरामद हुआ।जांच में पता चला कि रोहितथ शर्मा अपने घर से ही पूरे इलाके में बिजली चोरी करवा रहा था। वह इलाके के लोगों को अवैध रूप से बिजली कनेक्शन देता था और बदले में मोटी रकम वसूलता था। इस खेल में सिर्फ वह ही नहीं, बल्कि बिजली विभाग के बड़े साहब भी शामिल थे?, जिनकी सरपरस्ती में यह भ्रष्टाचार लंबे समय से फल-फूल रहा था।

जिन घरों के मीटर खराब हो जाते थे, विभागीय अधिकारी उन्हें बदलने के बजाय स्टोर कर लेते थे और उनकी जगह चोरी के मीटर लगा देते थे।इन मीटरों को छेड़छाड़ कर उपभोक्ताओं को कम बिल देने की सुविधा दी जाती थी, जिससे भ्रष्ट कर्मचारियों को मोटी कमाई होती थी।पुराने मीटरों की रीडिंग को डैमेज कर दिया जाता था, जिससे बिजली खपत का कोई हिसाब न रहे।कई उपभोक्ताओं को कम बिजली खपत दिखाकर फायदा पहुंचाया जाता था और इसके बदले में घूस ली जाती थी।पूरे इलाके में बिना किसी आधिकारिक बिलिंग के बिजली सप्लाई की जा रही थी।सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया जा रहा था।
जब विजिलेंस टीम की सीओ मीनाक्षी शर्मा को इस गोरखधंधे की सूचना मिली, तो उन्होंने बिना समय गवाएं मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। टीम ने घर की सघन तलाशी ली और बड़ी संख्या में बिजली मीटर जब्त किए। इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी संविदा कर्मचारी रोहितथ शर्मा के खिलाफ धारा 135, 137, 138 और लगभग 4 किलो वाट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
इस कार्रवाई के बाद बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए है –
- संविदा कर्मचारी बिजली चोरी कर रहा था, लेकिन विभाग को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी?
- बड़े साहब के संरक्षण में इतना बड़ा खेल कैसे चल रहा था? बिजली विभाग के अन्य अधिकारियों की इसमें कितनी मिलीभगत थी?
- अगर विजिलेंस टीम ने यह कार्रवाई नहीं की होती, तो क्या यह भ्रष्टाचार यूं ही चलता रहता?
बिजली विभाग में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला संविदा कर्मचारी से लेकर उच्च अधिकारियों तक फैला हुआ है। विजिलेंस टीम की इस कार्रवाई के बाद बिजली चोरी करने वाले अन्य कर्मचारी भी डर गए हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मच गया है। यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि विजिलेंस विभाग ने अगर ठान लिया, तो भ्रष्टाचारियों को छिपने की जगह नहीं मिलेगी।इस पूरे मामले में विजिलेंस टीम की भूमिका काबिले तारीफ रही। खासकर सीओ मीनाक्षी शर्मा ने जिस तरह से तत्परता दिखाई और आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा, वह दर्शाता है कि ईमानदार अधिकारी चाहें तो भ्रष्टाचार को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
विजिलेंस मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि फरीदपुर में संविदा कर्मचारियों के यहां मीटरों का जखीरा बरामद हुआ है उसके खिलाफ धारा 135 137 138 के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है और इसमें जो भी अधिकारी शामिल है उनके सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी