Parenting Tips :  पेरेंट्स का स्क्रीन एडिक्शन बच्चों को ले जा रहा गलत रास्तों पर..एडल्ट कंटेंट के हो सकते हैं आदी

आज के डिजिटल युग में स्क्रीन का प्रभाव हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, और इससे पेरेंट्स भी अछूते नहीं हैं। मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर बिताया गया समय न केवल बच्चों के लिए, बल्कि माता-पिता के लिए भी बढ़ता जा रहा है। जब पेरेंट्स खुद स्क्रीन में डूबे रहते हैं, तो इसका बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जो उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर सकता है। आइए समझते हैं कि पेरेंट्स का स्क्रीन एडिक्शन बच्चों के लिए कैसे खतरे का कारण बन सकता है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।

1. बच्चों पर ध्यान की कमी

जब पेरेंट्स मोबाइल या लैपटॉप में व्यस्त होते हैं, तो बच्चे प्यार और अटेंशन की कमी महसूस करते हैं। बच्चों को अपने माता-पिता से वो जुड़ाव और सहारा चाहिए होता है, जो उन्हें स्क्रीन के पीछे नहीं मिल पाता। अगर यह ध्यान न मिले, तो बच्चे अपनी भावनाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए इंटरनेट का सहारा ले सकते हैं, जिससे वे गलत कंटेंट या अनुचित संगति की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

2. इंटरनेट का अनफिल्टर्ड एक्सेस

बच्चे तकनीकी रूप से सक्षम होते हैं, और जब पेरेंट्स उनकी गतिविधियों पर ध्यान नहीं देते, तो बच्चे बिना किसी रोक-टोक के इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। वे एडल्ट साइट्स, हिंसक वीडियो, या गलत मैसेजिंग की चपेट में आ सकते हैं, जो उनके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। बिना फिल्टर के इंटरनेट एक्सेस बच्चों के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है, क्योंकि वे अनजाने में हानिकारक कंटेंट का सामना कर सकते हैं।

3. कॉपी करने की प्रवृत्ति

बच्चे वही सीखते हैं, जो वे अपने आस-पास देखते हैं। अगर माता-पिता हर समय अपने फोन या लैपटॉप में व्यस्त रहते हैं, तो बच्चे भी इस आदत को अपनाते हैं। यह आदत धीरे-धीरे स्क्रीन एडिक्शन में बदल सकती है, जिससे उनका सामाजिक जीवन, पढ़ाई और खेल पर नकारात्मक असर पड़ता है। बच्चे जब अपने माता-पिता से स्क्रीन में डूबे रहने की आदत देखते हैं, तो वे इसे अपनाने लगते हैं, और यह उनकी सामान्य दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है।

4. एजुकेशन और मानसिक स्वास्थ्य पर असर

स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों की एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है। वे पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते और उनका शैक्षिक प्रदर्शन गिरने लगता है। लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से उनका मस्तिष्क थक जाता है और वे चिड़चिड़े हो सकते हैं। इससे बच्चों में मानसिक समस्याएं जैसे डिप्रेशन, चिंता और तनाव भी विकसित हो सकते हैं। लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग करने से उनकी मानसिक सेहत पर भी गंभीर असर पड़ सकता है, जो उनकी भविष्य की सफलता के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

बचाव के उपाय

  1. माता-पिता का उदाहरण प्रस्तुत करना: पेरेंट्स को बच्चों को यह दिखाने की जरूरत है कि वे स्क्रीन का इस्तेमाल संतुलित तरीके से कर रहे हैं। बच्चों को यह समझाने के लिए पेरेंट्स को खुद भी स्क्रीन से समय बिताने के लिए सीमित समय तय करना होगा।
  2. बच्चों के साथ समय बिताना: बच्चों को प्यार और अटेंशन देने के लिए पेरेंट्स को स्क्रीन के बिना उनके साथ समय बिताना चाहिए। यह बच्चों को अच्छे संबंधों और खुशहाल जीवन की ओर प्रेरित करता है।
  3. इंटरनेट पर नजर रखना: पेरेंट्स को बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल पर ध्यान रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी भी प्रकार के अनुचित कंटेंट से बचें। बच्चों को इंटरनेट की दुनिया से सुरक्षित रखने के लिए पेरेंट्स को शिक्षा देने की जरूरत है।
  4. स्क्रीन टाइम लिमिट तय करना: बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम लिमिट तय करना जरूरी है। इसे खेलने, पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के बीच संतुलित करना चाहिए ताकि बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े।

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