
झांसी। मेडिकल कॉलेज के पोस्टमॉर्टम विभाग में शव वाहन की मनमानी वसूली का मामला सामने आया है। मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि 10 किलोमीटर दूरी तक शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस चालक ने 4 हजार रुपए की मांग की। परिजनों के पास इतनी बड़ी रकम नहीं थी, इसलिए उन्होंने मोहल्ले में चंदा कर पैसे जुटाए।
यह है पूरा मामला?
घटना सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के रायगंज की है, जहां रहने वाले नरेंद्र ने आत्महत्या कर ली थी। उनका शव पोस्टमॉर्टम के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज लाया गया था। मंगलवार को शव का पोस्टमॉर्टम हुआ और डॉक्टरों ने शव परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद परिजनों ने शव को घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की तलाश की।
जब परिजनों ने मेडिकल कॉलेज के बाहर खड़ी एम्बुलेंस से संपर्क किया, तो चालक ने 10 किलोमीटर की दूरी के लिए 4 हजार रुपए की मांग की। इतनी ज्यादा रकम सुनकर परिजन परेशान हो गए और उन्होंने विरोध जताया। लेकिन एम्बुलेंस चालक अपनी मांग पर अड़ा रहा।
परिजनों को करना पड़ा चंदा
मृतक नरेंद्र के ताऊ मंगल सिंह ने बताया कि उनके पास केवल 2500 रुपए थे। जब उन्होंने एम्बुलेंस चालक से कम पैसों में शव ले जाने की गुजारिश की, तो वह नहीं माना और 3500 रुपए से कम लेने को तैयार नहीं हुआ। मजबूरन, उन्होंने मोहल्ले में चंदा करके पैसे जुटाए और एम्बुलेंस का किराया दिया।
अब अंतिम संस्कार के लिए भी करना पड़ेगा चंदा
मंगल सिंह ने बताया कि नरेंद्र आर्थिक रूप से कमजोर था। उनकी खुद की स्थिति भी ठीक नहीं है। शव वाहन में ही सारी जमा पूंजी खर्च हो गई, जिससे अब अंतिम संस्कार के लिए भी चंदा जुटाने की नौबत आ गई है। उन्होंने बताया कि एक अन्य एम्बुलेंस चालक ने 35 किलोमीटर के लिए 1200 रुपए लिए, लेकिन उनसे मात्र 10 किलोमीटर के लिए 3500 रुपए वसूले गए।
अन्य एम्बुलेंस को नहीं आने दिया गया
परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्होंने दूसरी एम्बुलेंस से बात कर ली थी, जो 1500 रुपए में शव को ले जाने को तैयार थी, लेकिन पोस्टमॉर्टम विभाग के बाहर खड़े एम्बुलेंस चालकों ने उसे अंदर नहीं आने दिया। जब परिजनों ने पुलिसकर्मियों से मदद मांगी, तो कोई सहायता नहीं मिली।
प्रशासन की लापरवाही उजागर
इस घटना ने झांसी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। परिजन सवाल उठा रहे हैं कि आखिर मेडिकल कॉलेज के बाहर एम्बुलेंस चालकों की यह मनमानी क्यों चल रही है? गरीब परिवारों से शव वाहन के लिए इतनी ज्यादा रकम क्यों वसूली जा रही है? प्रशासन को इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और गरीब परिवार को ऐसी मुश्किल का सामना न करना पड़े।