
- … जिला जेल के जेलर और डिप्टी जेलर पर हुई कार्रवाई
- … जेल अधीक्षक पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा पत्र
- … जेल में बंद विनोद गुप्ता मोबाइल से छात्रों को गवाही नही देने के लिए दिया था धमकी
- … बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये का किया था ठगी
- … बक्सु बाबा एकेडमी नगदीलपुर का है संचालक विनोद
- … सैकड़ो छात्रों को पढ़ाता था कोचिंग
गाजीपुर। जिला जेल के अंदर मोबाइल पर बात करने के मामले में डीजी जेल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला जेल के जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह पर कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र को लिखा है। यह कार्रवाई जेल के अंदर से मोबाइल पर बात करने के मामले में की गयी है। मालूम हो कि बक्सु बाबा एकेडमी नगदीलपुर के संचालक विनोद गुप्ता बिहार में सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर छात्रो से करोड़ो रुपये ठगी कर लिया था। कई छात्र छात्राओं को तो फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया था। जब छात्र वहां पहुंचे तो पता चला कि यह नियुक्ति पत्र फर्जी है। इसके बाद पीड़ित पुलिस अधीक्षक डा.ईरज राजा से मिलकर शिकायत किये।पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर संचालक विनोद गुप्ता और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने विनोद गुप्ता सहित अन्य लोगो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विनोद गुप्ता ने जेल से शिकायत करने वाले छात्रों से मोबाइल से फोन करके गवाही न देने के लिए धमकी दिया था कि समझौता कर लो। जितना पैसा चाहिए देगें।
इसके बाद पीड़ित छात्र पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचकर मामले की शिकायत किये। चार मार्च को मामले के संज्ञान में आने के बाद शासन ने डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव से इसकी जांच कराई गई। इस दौरान जांच में जेल के अंदर से फोन कॉल करवाने की पुष्टि हुई। इसके बाद डीजी जेल का पारा चढ़ गया। उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी को निलंबित कर दिया। साथ ही जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह पर कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र को लिखा।
इतनी बड़ी कार्रवाई से जिला जेल में हड़कंप मच गया। इस संबंध में डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि जिला जेल से प्राइवेट नंबर से फोन करने की जानकारी मिली थी कि जेल से प्राइवेट फोन से धमकी दिया गया था। इसकी जांच जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने किया था। जब मेरे द्वारा जांच किया गया तो मामला सही पाया गया। इसके बाद इसकी रिपोर्ट शासन को भेजा दिया गया। शासन ने कार्रवाई करते हुए जेलर और डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया।