आज महाशिवरात्रि है और सुबह- सुबह ही मंदिरों के बाहर लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. इस विविधता वाले देश में भगवान भोले को अलग अलग तरीकों से प्रसन्न किया जाता है. देश में स्थापित शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना महत्व और इतिहास है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की 5 प्रकार की आरतियां की जाती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आरती मानी जाती है ‘ भस्म आरती’. जी हां, मध्यप्रेदश के महाकालेश्र्वर ज्योतिर्लिंग में की जाती है भस्म आरती और ये आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से की जा रही है. तो चलिए आज इस शुभ अवसर पर आपको बताते हैं भस्म आरती का रहस्य और इसे संपन्न करने की विधि-
भस्म आरती का रहस्य
पुराणों के मुताबिक, काफी वर्षों पूर्व उज्जैन में महाराज चंद्रसेन का शासन था. वो भगवान शिव के परमभक्त थे और वहां की प्रजा भी उन्हें बहुत पूजती थी. एक बार राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर हमला बोल दिया और राक्षस दूषण के माध्यम से वहां की प्रजा को बहुत प्रताड़ित किया. तब सभी उज्जैन वासियों ने महादेव को याद किया और उनसे मद्द की गुहार लगाई. कहा जाता है महादेव ने उनकी पुकार सुनी और खुद आकर उस दुष्ट राक्षस का अंत किया. सिर्फ यही नही, भगवान ने दूषण की राख से अपना श्रृंगार किया और हमेशा के लिए वहां बस गए. इस तरीके से उस जगह का नाम पड़ा महाकालेश्र्वर और शुरू हो गई महादेव की भस्म आरती.
भस्म आरती की विधि
ऐसी मान्यता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है. इसी वजह से भस्म आरती महाकालेश्र्वर में प्रातः काल चार बजे शुरू हो जाती है. बता दें, भस्म को पूरी विधि विधान के साथ बनाया जाता है. सबसे पहले कपिला गाय के कंडे, पीपल, पलाश, शमी और बेर के लकड़ियों को साथ में जलाया जाता है. इनको जलाते समय वहां के पुजारी मंत्रोच्चार भी करते हैं. फिर उस भस्म को कपड़े के माध्यम से छान लिया जाता है और उसे महादेव पर अर्पित किया जाता है. महाकालेश्र्वर में शमशान में जलाई पहली चिता की राख से भी भगवान भोले का श्रृंगार किया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार अगर व्यक्ति की चिता से महादेव का श्रृंगार किया जाए, तो उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
क्या है नियम?
महाकालेश्र्वर में भस्म आरती के समय महिलाओं का जाना वर्जित है. लेकिन जो महिलाएं उस समय वहां उपस्थित होती हैं उन्हें साड़ी पहनना आवश्यक है. इसके अलावा जिस समय शिवलिंग पर भस्म अर्पित की जाती है, वहां खड़ी सभी महिलाओं को अपना चेहरा घूंघट से ढक लेना चाहिए. ऐसा कहा जाता है उस समय महादेव निराकार रूप में होते हैं.
वैसे कुछ सख्त नियम पुरषों के लिए भी हैं. वहां आए सभी पुरषों को सूती की धोती पहनना जरूरी है. इस मंदिर में कोई आम व्यक्ति खुद शिवलिंग पर भस्म अर्पित नही कर सकता. ये अधिकार वहां के सिर्फ पुजारियों के पास है.
भस्म का तिलक क्यों लगाते हैं?
महाशिवरात्रि पर भस्म का तिलक लगाने से महादेव के सभी भक्तों के पाप धुल जाते हैं और उनका जीवन सदैव तनावमुक्त और खुशहाली से भरा रहता है.















