
म्यांमार में फंसे प्रदेश के 13 जिलों के 21 युवकों को मंगलवार की देर रात लखनऊ में पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) द्वारा तीन घंटे तक पूछताछ के बाद सकुशल उनके गृह जनपद भेज दिया गया। युवकों ने अपनी पूछताछ में बताया कि डंकी फिल्म देखकर विदेश जाने का लालच उन्हें म्यांमार ले गया और वहां साइबर माफिया के चंगुल में फंसने के बाद वे जबरन साइबर जालसाजी में शामिल हो गए।
इन 21 युवकों में से पांच लखनऊ, एक बलिया, दो कुशीनगर, तीन गोंडा, एक प्रतापगढ़, एक वाराणसी, दो महाराजगंज, एक औरैया, एक गाजीपुर, एक सोनभद्र, एक जौनपुर और दो गोरखपुर के निवासी थे। इसके अलावा, मेरठ के 17 युवकों को साहिबाबाद बस डिपो पर छोड़ दिया गया था। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने म्यांमार में बंधक बनाए गए 530 युवकों को मुक्त कराया और उन्हें सुरक्षित भारत भेजा।
पूछताछ में इन युवकों ने यह जानकारी दी कि उन्हें एक बिल्डिंग में बंधक बनाकर जबरन साइबर जालसाजी में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था। भारत, अमेरिका और अन्य देशों के नागरिकों से धोखाधड़ी करने के लिए इनसे फोन कराए जाते थे। इन युवकों ने बताया कि जब वे मना करते थे तो माफिया द्वारा उनके साथ मारपीट की जाती थी और जान से मारने की धमकियां भी दी जाती थीं।
म्यांमार में फंसे इन युवकों की सकुशल वापसी और उनके घर भेजने की प्रक्रिया पुलिस द्वारा पूरी की गई। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में और जानकारी जुटाने के लिए लगातार छानबीन जारी रखने की बात कही है।