ICMAI गाजियाबाद चैप्टर द्वारा “भारतीय रेलवे में परफॉर्मेंस कॉस्टिंग और आयकर विधेयक 2025” पर संगोष्ठी का आयोजन

गाजियाबाद। इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICMAI) के नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल (NIRC) गाजियाबाद चैप्टर ने “भारतीय रेलवे में परफॉर्मेंस कॉस्टिंग और आयकर विधेयक 2025” विषय पर एक विचारशील संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक पेशेवरों ने सक्रिय भागीदारी की और लागत निर्धारण एवं कराधान से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमए (श्रीमती) अंशु गुप्ता, अध्यक्ष, गाजियाबाद चैप्टर ने की, जो अपनी समर्पित टीम के साथ उपस्थित थीं। इस संगोष्ठी में प्रतिष्ठित वक्ताओं में शामिल थे—सीएमए बी.बी. गोयल (पूर्व अतिरिक्त सलाहकार – लागत), सीएमए मनोज कुमार सिंह (प्रैक्टिसिंग कॉस्ट अकाउंटेंट), और सीएमए कैलाश झा (प्रैक्टिसिंग कॉस्ट अकाउंटेंट)।

भारतीय रेलवे में परफॉर्मेंस कॉस्टिंग की भूमिका –

सीएमए बी.बी. गोयल, जो लागत प्रबंधन के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ हैं, ने परफॉर्मेंस कॉस्टिंग के जटिल पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि परफॉर्मेंस कॉस्टिंग भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और वित्तीय स्थिरता को बेहतर बनाने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

आयकर विधेयक 2025 को लेकर प्रमुख चिंताएँ –

इस संगोष्ठी का एक महत्वपूर्ण विषय आयकर विधेयक 2025 में “अकाउंटेंट” की परिभाषा को लेकर उत्पन्न अस्पष्टता था। वक्ताओं और सदस्यों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इस विधेयक में “अधिकृत प्रतिनिधियों” की श्रेणी में केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (CAs) को शामिल किया गया है, जबकि कॉस्ट अकाउंटेंट्स (CMAs) को नजरअंदाज कर दिया गया है।

वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कॉस्ट अकाउंटेंट्स अधिनियम, 1959 और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम, 1949 के तहत सीएमए और सीए, दोनों को कानूनी रूप से “अकाउंटेंट” के रूप में मान्यता प्राप्त है। हालांकि, नए विधेयक में इस परिभाषा को सीमित कर दिया गया है, जो इस विधायी इरादे के विपरीत है और कर अनुपालन में कॉस्ट अकाउंटेंट्स की भूमिका को कमजोर कर सकता है।

विधायी संशोधन की माँग –

संगोष्ठी में सर्वसम्मति से आयकर विधेयक 2025 में संशोधन की माँग की गई, ताकि कॉस्ट अकाउंटेंट्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दोनों को कराधान नियमों में समान रूप से मान्यता दी जा सके। वक्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक अनजाने में हुई चूक है, जिसे जल्द से जल्द सही किया जाना चाहिए, ताकि कर कानूनों को मौजूदा पेशेवर कानूनों के अनुरूप लाया जा सके।

निष्कर्ष –

कार्यक्रम का समापन सीएमए शिवम कंसल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने गाजियाबाद चैप्टर की टीम, सभी प्रतिष्ठित वक्ताओं और सक्रिय भागीदारों के प्रयासों की सराहना की।

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