
झांसी। नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी को 20 साल की सजा सुनाने के साथ ही न्यायालय ने मामले में फर्जी हाजिरी रजिस्टर पेश करने वाले प्रधानाध्यापक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापक को निलंबित करते हुए विभागीय जांच शुरू कर दी है।
मामला बंगरा प्राथमिक विद्यालय का है, जहां एक नाबालिग छात्रा के स्कूल से घर लौटते समय अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपने बचाव में दावा किया कि पीड़िता उस दिन स्कूल आई ही नहीं थी और उसका बयान झूठा है। इसके बाद आरोपी की ओर से स्कूल के प्रधानाध्यापक मनोज नगरिया ने हाजिरी रजिस्टर पेश करते हुए दावा किया कि पीड़िता उस दिन स्कूल नहीं आई थी।
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस रजिस्टर पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच कराई। जांच में रजिस्टर फर्जी पाया गया। इस पर न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई और जुर्माना लगाया। साथ ही प्रधानाध्यापक मनोज नगरिया के खिलाफ विभागीय जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए।
शिक्षा विभाग ने न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया है। गुरसराय खंड शिक्षा अधिकारी को विभागीय जांच का जिम्मा सौंपा गया है। मामले में आरोपी को सजा मिलने के बाद भी प्रधानाध्यापक की भूमिका पर सवाल उठने के बाद यह कार्रवाई की गई है।
न्यायालय ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया है कि न्याय प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शिक्षा विभाग ने भी इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया है। अब विभागीय जांच के बाद और कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर समाज में सुरक्षा और न्याय प्रणाली में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित किया है। पीड़िता के परिवार ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।