Encephalitis: ये बीमारी है जानलेवा , समय पर इलाज होना है जरुरी

इंसेफेलाइटिस मस्तिष्क की सूजन है, जो आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमणों के कारण होती है। कुछ मामलों में इम्यून सिस्टम की गलती से भी यह समस्या हो सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण, इस बीमारी के मामलों में काफी कमी आई है। 2018 में 149 मौतों के मुकाबले 2024 में राज्य में एक भी मौत का मामला दर्ज नहीं हुआ, जिससे यह बीमारी नियंत्रित करने में सफलता मिली है।

इंसेफेलाइटिस क्या है?

इंसेफेलाइटिस मस्तिष्क की सूजन है, जो आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होती है। यह मस्तिष्क के तंतुओं और कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिसके कारण व्यक्ति में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इंसेफेलाइटिस एक खतरनाक स्थिति हो सकती है और समय रहते इलाज न मिलने पर यह व्यक्ति की जीवन को संकट में डाल सकता है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण, मच्छर जनित बीमारियां, और इम्यून सिस्टम द्वारा गलती से मस्तिष्क की कोशिकाओं पर हमला करना।

इंसेफेलाइटिस के कारण

इंसेफेलाइटिस आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, लेकिन कुछ मामलों में इम्यून सिस्टम की ग़लत प्रतिक्रिया के कारण भी मस्तिष्क में सूजन हो सकती है। मच्छर जनित बीमारियां, जैसे जापानी इंसेफेलाइटिस और डेंगू भी इंसेफेलाइटिस के कारण बन सकती हैं। यह समस्या बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि उनकी इम्यून सिस्टम कमजोर होती है।

इंसेफेलाइटिस को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. संक्रामक इंसेफेलाइटिस: यह वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है।
  2. ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस: यह तब होता है जब शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से मस्तिष्क की कोशिकाओं पर हमला करता है।

इंसेफेलाइटिस के लक्षण

इंसेफेलाइटिस के लक्षण व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करते हैं, लेकिन सामान्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • तेज बुखार (100.4 डिग्री फॉरेनहाइट से ऊपर)
  • सिर में दर्द और गर्दन में जकड़न
  • बेहोशी, चिड़चिड़ापन और शरीर में कमजोरी
  • बोलने और सुनने में समस्या
  • मिर्गी के दौरे
  • मस्तिष्क के किसी खास हिस्से में सूजन होने के कारण चेहरे पर हल्का तात्कालिक विकृति (जैसे मुंह या आंखों का टेढ़ापन)
  • याददाश्त में कमी
  • मानसिक उलझन और तंत्रिका तंत्र में असामान्यताएं

इंसेफेलाइटिस के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं, इसलिए अगर किसी व्यक्ति में इन लक्षणों का अनुभव हो, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

इंसेफेलाइटिस के प्रकार

इंसेफेलाइटिस के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. जापानी इंसेफेलाइटिस (JE): यह मच्छर जनित बीमारी है, जो विशेष रूप से एशियाई देशों में पाई जाती है। यह वायरल संक्रमण मस्तिष्क में सूजन उत्पन्न करता है।
  2. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES): यह आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है और जापानी इंसेफेलाइटिस का एक रूप है।
  3. चांदीपुरा वायरस और कैंप हिल वायरस: ये दोनों वायरस हाल के वर्षों में इंसेफेलाइटिस के मामलों को बढ़ा सकते हैं। जुलाई-अगस्त 2024 के दौरान, चांदीपुरा वायरस संक्रमण के कारण इंसेफेलाइटिस के मामलों में वृद्धि देखी गई थी। इसके लक्षण बुखार, फ्लू जैसे होते हैं और यह बच्चों में अधिक गंभीर रूप से प्रकट हो सकता है।

उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस की स्थिति

हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 में उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस के कारण 149 मौतें हुई थीं, जबकि 2024 में राज्य में एक भी मौत का मामला नहीं देखा गया। इस अवधि के दौरान इंसेफेलाइटिस के मामलों में भी कमी आई है। यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2005 में राज्य ने जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की महामारी का सामना किया था, जिसमें 6,000 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए थे और 1,400 से ज्यादा मौतें हुई थीं।

इंसेफेलाइटिस का इलाज और बचाव

इंसेफेलाइटिस का इलाज स्थिति और इसके कारण पर निर्भर करता है। अगर यह वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, तो एंटी वायरल या एंटी बैक्टीरियल दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा, मस्तिष्क में सूजन को कम करने के लिए अस्पताल में भर्ती कर उपचार दिया जाता है। इसके साथ ही, मस्तिष्क की जटिलताओं को नियंत्रित करने के लिए विशेष देखभाल की जरूरत हो सकती है।

बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • मच्छरों से बचाव: मच्छरों के द्वारा फैलने वाली बीमारियों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और मच्छर के काटने से बचने के लिए फुल स्लीव्स वाले कपड़े पहनें।
  • टीकाकरण: जापानी इंसेफेलाइटिस और येलो फीवर जैसे वायरस से बचाव के लिए टीके लगवाना चाहिए। यह टीकाकरण खासकर उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होता है जहां इन वायरस का प्रकोप अधिक होता है।
  • स्वस्थ जीवनशैली: सही आहार, स्वच्छता और नियमित व्यायाम से इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखें, जिससे शरीर संक्रमण के खिलाफ लड़ने में सक्षम रहे।

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