तबरेज़ राणा का बयान : ‘औरंगजेब ने मंदिर तोड़े होते तो 48 साल कैसे राज करते?’

“छावा मूवी” के बाद औरंगजेब के इतिहास पर शुरू हुई सियासत अब भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में इस मुद्दे पर दिवंगत शायर मुनव्वर राणा के बेटे, तबरेज राणा का बयान सामने आया है, जिसने इस विवाद को और हवा दी। तबरेज राणा ने कहा कि यदि औरंगजेब वास्तव में एक आतंकवादी होता, तो उसके 48 साल के शासनकाल में हिंदुओं का नाम-ओ-निशान ही मिट चुका होता। उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर मुनव्वर राणा पर सवाल उठाए जा सकते हैं, तो फिर औरंगजेब पर सवाल उठाने वाले लोग खुद भी बहुत खराब हैं।

तबरेज राणा ने अपने बयान में औरंगजेब के शासनकाल को लेकर महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “अगर औरंगजेब असल में आतंकवादी होता, तो 48 साल के शासन में वह हिंदू समुदाय का पूरी तरह से सफाया कर चुका होता। उस वक्त अगर वह हिंदुओं का कत्लेआम करता, तो कितने हिंदू बचते? कितने मंदिर बचते? औरंगजेब के समय में न तो आप थे, न सोशल मीडिया था। वह जो चाहता, वही कर सकता था, और अगर वह इतना आतंकवादी होता तो हिंदुओं का नाम-ओ-निशान खत्म हो जाता।” इस बयान में तबरेज ने यह संकेत भी दिया कि अगर औरंगजेब की नीतियों को इतना खतरनाक माना जाता, तो 48 साल के लंबे समय में हिंदू धर्म और संस्कृति का अस्तित्व खत्म हो चुका होता।

जब उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबु आजमी से जुड़े सवाल का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने इस पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। तबरेज राणा ने कहा, “जब मेरे वालिद, मुनव्वर राणा पर सवाल उठाए जा सकते हैं, तो फिर यह लोग खुद क्यों नहीं सवालों के घेरे में आते?” उन्होंने इस संदर्भ में एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण भी पेश किया और कहा कि मुनव्वर राणा ने ‘गांधीगिरी’ के समय में भी ‘गोडसे’ के दौर में अपने विचारों को रखा, जो कि एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा था। इस प्रकार, उन्होंने यह जताया कि जो लोग अतीत की घटनाओं को लेकर विवाद पैदा करते हैं, उन्हें पहले यह सोचना चाहिए कि वे खुद क्या योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा, “ऐसे विवाद तब पैदा होते हैं जब हमारे पास दिखाने के लिए कुछ नया नहीं होता। जब हमने कोई नया काम किया होता या कुछ अच्छा किया होता, तो हम अतीत में नहीं जाते। आप मुगलों से नफरत करते हैं, लेकिन मुगलई से भी बहुत कुछ पसंद करते हैं।” तबरेज राणा के इस बयान का तात्पर्य यह था कि बहुत लोग अपने व्यक्तिगत अनुभवों और विचारों को लेकर इतिहास के संदर्भ में बहुत अधिक विवाद उत्पन्न करते हैं, जबकि वे खुद उन विचारों और परंपराओं का पालन भी करते हैं जिन्हें वे आलोचना करते हैं।

इस पूरे विवाद में औरंगजेब के इतिहास और उसके शासनकाल को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं। कई लोग औरंगजेब को अत्याचारी और तानाशाह मानते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि उसके शासन में समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में बहुत योगदान था। हालांकि, इस पर होने वाली सियासत अब तक खत्म होती नजर नहीं आ रही, और यह मुद्दा लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है।

तबरेज राणा के बयान ने इस सियासी विवाद को एक नया मोड़ दिया है, जिसमें उन्होंने औरंगजेब के शासनकाल को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखने की बजाय एक व्यावहारिक और तर्कसंगत नजरिए से पेश किया है। उनका यह भी कहना था कि जब तक समाज में सुधार की कोई नई पहल नहीं होती, तब तक अतीत को लेकर विवाद बढ़ते रहेंगे, और समाज में आपसी समझ और सामंजस्य की कमी बनी रहेगी।

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