
अंकुर त्यागी
फगुआ गीत: प्रेम और भाई चारे के प्रतीक के रूप में हर वर्ष मनाये जाने वाले सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्वों में एक होली का त्यौहार भारत में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है, लेकिन हम सब ने यह महसूस किया है कि होली का पर्व अब वैसे नहीं मनाया जाता जैसे पहले के दिनों में मनाया जाता था, जो बात पहले थी अब वह बात नहीं है। होली के लिए लकड़ी तो इकट्ठा की जाती है लेकिन पहले जैसी बात अब नहीं दिखती, ना ही फाल्गुन के महीने में बुज़ुर्गो और जवानों के मुँह से गाए जाने वाले फगुआ गीत और जोगीरा कानों को सुनाई देते हैं। अब ऐसा लगता है कि फगुआ गीत डीजे की धमक में खो गए हैं, अब होली का पर्व केवल डीजे और फूहड़ गानों तक ही सीमित रह गया है।
एक समय हुआ करता था जब वसंत पंचमी से ही होलिका सजाने की तैयारी शुरू हो जाती थी और लोग बेसब्री से इंतज़ार करते थे लेकिन आज के बदलते हुए समय में लोगों को अपने कार्यों से होली के पर्व में भी छुट्टिया निकलना मुश्किल हो गया है। गुड़ का रस और भुने हुए चने का स्वाद होली में लोगों को परदेश से खींच लाता था, वह भी क्या समय था जब ढोलक और मंजीरे की धुन पर देर रात तक फगुआ गीत सुनने को मिलते थे । लेकिन आधुनिकता के इस दौर ने हमारी परंपरा को लगभग समाप्त कर दिया है। फगुआ गीत अब विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गए हैं
क्या होते हैं फगुआ गीत
फगुआ गीत होली के अवसर पर गाए जाने वाले पारंपरिक लोकगीत हैं, जो विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रचलित हैं। फागुन माह में, बसंत पंचमी से लेकर होली तक, इन गीतों के माध्यम से लोग होली की खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। फगुआ गीतों में भगवान कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं, प्राकृतिक सुंदरता और प्रेम का उल्लास व्यक्त होता है।
इन गीतों को टोली बनाकर गाया जाता है, जिसमें ढोल, नगाड़े और मंजीरे जैसे वाद्ययंत्रों का साथ होता है। टोलियां घर-घर जाकर लोगों को होली की शुभकामनाएं देती हैं, और घरवाले उनका स्वागत पकवानों और मिठाइयों से करते हैं।
फगुआ गीतों का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है। यह गीत समाज में एकता, प्रेम और उल्लास का संदेश फैलाते हैं, और लोक संस्कृति की समृद्ध विरासत को जीवित रखते हैं।
कुछ फगुआ गीत
होरी खेलय रघुवीरा जनक पुर, होरी खेलय रघुवीरा,
होरी खेलय रघुवीरा जनक पुर, होरी खेलय रघुवीरा,
अरे होरी खेलय रघुवीरा जनक पुर, हा होली खेलय रघुवीरा जनकपुर,
होली खेलय रघुवीरा……
हाँ केकरे हाथे कनक पिचकारी, कनक पिचकारी, कनक पिचकारी
अरे हाँ केकरे हाथे अबीरा जनकपुर होरी खेलय रघुवीरा…
अरे हाँ केकरे हाथे अबीरा जनकपुर होरी खेलय रघुवीरा…
अरे होली खेलय रघुवीरा……
हाँ राम के हाथे कनक पिचकारी – हाँ राम के हाथे कनक पिचकारी,
हाँ लखन के हाथे अबीरा, जनकपुर होरी खेलय रघुवीरा जककपुर…..
अरे होरी खेलय रघुवीरा जनक पुर, हा होली खेलय रघुवीरा जनकपुर,
होली खेलय रघुवीरा……
मोहन खेलें होली हो
सदा अनंदा रहे एही द्वारे
मोहन खेले होली हो
उड़ल अबीर गगन ललियाईल
गगन ललियाईल ! गगन ललियाईल
मुदित मगन मनवा हरसाईल
मन हरसाईल ! हो मन हरसाईल
खेले रंग सिया जानकी हो
खेले रंग सिया जानकी हो
खेले रंग रघुनन्दन हो