
संभल। शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले में सिविल सीनियर डिवीजन कोर्ट में अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होने वाली है। इस मामले में न्यायालय परिसर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है, और पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। इसके अलावा, चंदौसी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से पुलिस और प्रशासन निगरानी रख रहे हैं ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। यह ध्यान देने योग्य है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने निचली अदालत को इस मामले में कोई नया निर्णय लेने से रोक लगा दी है, जिससे मामले की सुनवाई और निर्णय की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है।
सर्वे आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की और यह आदेश दिया कि मामले को हाईकोर्ट में भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिए थे कि मुस्लिम पक्ष की याचिका पर 3 दिनों के भीतर मेरिट के आधार पर सुनवाई की जाए।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि निचली अदालत को 8 जनवरी 2025 तक इस मामले में कोई भी निर्णय लेने से रोका गया है। इस आदेश के बाद, मामले की सुनवाई और निर्णय पर उच्च न्यायालयों के आदेश का असर पड़ेगा, और इस प्रक्रिया में कोई भी नया कदम निचली अदालत से नहीं उठाया जा सकता।
2 जनवरी 2025 को एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले में अपनी रिपोर्ट सिविल सीनियर डिवीजन कोर्ट में सील बंद लिफाफे के अंदर दाखिल की। यह रिपोर्ट 19 नवंबर और 24 नवंबर 2024 को किए गए दो चरण के सर्वे के बाद तैयार की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, एडवोकेट कमिश्नर ने रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में जमा किया, ताकि यह सुरक्षित रहे और इसे सार्वजनिक करने से पहले अदालत में प्रस्तुत किया जा सके। यह रिपोर्ट इस मामले के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है और अदालत द्वारा इसे खोलने के बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के मामले की सुनवाई अब 28 अप्रैल को होगी, जैसा कि हिंदू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा ने बताया। बुधवार को सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष के वकील को अपना जवाब दाखिल करना था, लेकिन उन्होंने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है। हिंदू पक्ष ने कोर्ट से अपील की है कि मस्जिद पक्ष को डब्लूएस (written statement) दाखिल करने का मौका समाप्त किया जाए।
शाही जामा मस्जिद के सदर, जफर अली ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से स्थगन (stay) आदेश होने के कारण बुधवार को कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होती, तब तक उनका पक्ष नहीं रखा जाएगा। उनका कहना था कि सर्वे रिपोर्ट खुलने के बाद ही वे अपना जवाब अदालत में प्रस्तुत करेंगे। इस मामले में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को चंदौसी कोर्ट में दावा किया था कि शाही जामा मस्जिद दरअसल श्री हरिहर मंदिर है। इसके बाद मस्जिद का दो चरणों में सर्वे किया गया—पहला 19 नवंबर और दूसरा 24 नवंबर 2024 को।
सर्वे के दौरान मस्जिद में हिंसा भी हुई, जिसमें हजारों की संख्या में लोग पुलिस पर पथराव और फायरिंग करने लगे। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई, और उग्र भीड़ ने कई वाहनों को आग लगा दी। पुलिस ने 79 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया, जिनमें दो हत्यारोपी और तीन महिलाएं शामिल हैं। इनमें से एक महिला को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया, जबकि बाकी सभी आरोपियों की जमानत अभी तक नहीं हुई है। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है, और इसकी सुनवाई के बाद ही मामले की दिशा स्पष्ट हो सकेगी।