स्वामी वैराग्यनंद गिरी को साधने में जुटी कांग्रेस, ‘महायज्ञ’ से पहले पहुंचे कमलनाथ, शुरू किया डैमेज कंट्रोल

भोपाल । प्रदेश की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र बिंदु ग्वालियर में पहली बार 1008 कुंडीय लक्ष्यचंडी यज्ञ का आयोजन 14 से 21 अप्रैल तक मेला मैदान में किया जाएगा, जिसका उद्देश्य विश्व कल्याण, राष्ट्र उन्नति और आध्यात्मिक जागरण है। उक्त आयोजन के संबंध में निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने बताया कि यज्ञ के दौरान 1008 पवित्र हवन कुंडों की स्थापना की जाएगी। जिसमें 21 आचार्यों एवं 11 हजार विद्वान ब्राह्मणों द्वारा एक लाख दुर्गा सप्तशती पाठ किए जाएंगे। 11 पवित्र नदियों, 10 महाविद्याओं, पांच महासागरों, दो देवी स्थानों एवं मानसरोवर से जल लाकर यज्ञ में आहुति दी जाएगी।

इस दिव्य आयोजन के माध्यम से 11 करोड़ मंत्रों की आहुतियां समर्पित की जाएंगी, जो विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न करेंगी। इस महायज्ञ में देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित हस्तियां भी शामिल होंगी, जिनमें कवि कुमार विश्वास, भोजपुरी गायिका मैथिली ठाकुर प्रमुख हैं। इस दौरान देवकीनंदन ठाकुर की भागवत कथा भी होगी। इस महा आयोजन में देशभर के लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे और धर्म, संस्कृति तथा अध्यात्म का अनुपम संगम देखेंगे। इस महायज्ञ के लिए गत दिवस मेला मैदान में भूमिपूजन किया गया।

इस मौके पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, संक कृपाल सिंह, महामंडलेश्वर हरिदास महाराज जडैरूआ, महामंडलेश्वर आनंद गिरी, महंत बरुआ बाबा एवं महाआयोजन के सूत्रधार निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज मौजूद रहे। मानव कल्याण के लिए किए जा रहे इस महायज्ञ से ग्वालियर चम्बल क्षेत्र की जनता को साधने के लिए सियासी दल अपनी-अपनी कवायद जरूर करेंगे।

सवाल यह भी है कि आखिर इस महाआयोजन से किस दल को फायदा पहुंचाया जा सकता है। एक तरफ महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज इस महायज्ञ की तैयारियों में जुटे हैं, तो वहीं दूसरी ओर नई दिल्ली में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की गुप्त मुलाकात ने राज्य के सियासत में एक नए सूत्रपात की शुरुआत की आशंका को बल मिल गया है। राजनीतिक समीक्षक इस गुप्त मुलाकात के कई सियासी मायने तलाश रहे हैं।

दरअसल, मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ गया है! महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यनंद गिरी महाराज के कांग्रेस से मोहभंग होने और अब राजनीति से संन्यास लेकर सनातन धर्म के प्रचार में जुटने के ऐलान से कांग्रेस का संत समाज में गिरता प्रभाव और हिंदू वोटबैंक पर मंडराता संकट साफ नजर आ रहा है। महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यनंद गिरी महाराज ने कांग्रेस से अपनी नाराजगी का खुलासा करते हुए कहा है कि अब वह राजनीति से दूरी बना कर सिर्फ सनातन धर्म का प्रचार करेंगे।

कमलनाथ ने शुरू किया डैमेज कंट्रोल

महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यनंद गिरी महाराज के इस रुख से कांग्रेस सकते में आ गई है। डैमेज कंट्रोल की कोशिश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नई दिल्ली में उनसे मुलाकात की। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अब वैराग्यनंद गिरी महाराज को मनाने की हरसंभव कोशिश कर रही है, ताकि हिंदू संत समाज का कांग्रेस से पूरी तरह मोहभंग न हो जाए।

इस महायज्ञ से किसकी बढ़ेगी मुश्किलें, किसे होगा फायदा?

महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यनंद गिरी महाराज जैसे प्रभावशाली संत का कांग्रेस से अलग होना न केवल धार्मिक संत समाज के कांग्रेस से कटने का संकेत है, बल्कि हिंदू वोटबैंक में भी सेंध लगा सकता है। इससे पहले भी कांग्रेस पर हिंदू विरोधी राजनीति करने के आरोप लगते रहे हैं और महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यनंद गिरी महाराज का यह फैसला उसी धारणा को और मजबूत कर सकता है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस वैराग्यनंद गिरी महाराज को फिर से साध पाएगी, या फिर यह घटना आगामी चुनावों में कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका साबित होगी?

फिलहाल, मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस बनाम संत समाज की यह जंग तूल पकड़ चुकी है। दूसरी तरफ यह चर्चा भी तेज हो गई है कि विश्व कल्याण, राष्ट्र उन्नति और आध्यात्मिक जागरण के लिए किए जा रहे लक्ष्यचंडी महायज्ञ से आखिर किसे सियासी फायदा मिल सकता है और किसे सिर्फ उम्मीद ही हाथ लगेगी।

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