
लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा..आपने प्लेटो का नाम सुना होगा। जब आपने शपथ ली थी, तो हमें प्लेटो की बात याद आई थी। प्लेटो ने कहा था..दार्शनिक को राजा होना चाहिए और राजा को दार्शनिक। लेकिन आज ‘प्लेटो का संत’ समानता और सद्भाव की विचारधारा से दूर होकर ‘सांप्रदायिक’ बन गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कबीर वाणी का जिक्र करते कहा,… वाणी ऐसी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए। यह संत की भाषा होती है। मैं फिर आपको ‘प्लेटो का संत’ कहता हूं। अभी जो बिगड़ गया है, उसे जाने दीजिए। अब से ‘प्लेटो का संत’ बनिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, जब आपने शपथ ली थी, तो हमने कहा था कि दार्शनिक तो नहीं, लेकिन हमारे सूबे की बागडोर एक संत के हाथ में आ गई है। वह संत जो सद्भाव की बात करता है, जो बराबरी की बात करता है, जो सबको साथ लेकर चलने की बात करता है। मुझे लगा था कि आप प्लेटो के उस सिद्धांत के अनुरूप यहां आ रहे हैं और उसी के अनुरूप काम करेंगे… लेकिन अब हम क्या कहें?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, आपकी जो कार्यशैली है, उसमें वह सद्भाव कहां है, वह समानता की बात कहां है, वह विचारधारा कहां है? आज भी जब कोई पूछता है, तो मैं कहता हूं कि मुख्यमंत्री जी ‘प्लेटो के संत’ हैं।
उन्होंने कहा, आज प्लेटो का वह संत उस विचारधारा से कितनी दूर चला गया है। समानता की बात कहां चली गई, आपसी सद्भाव कहां चला गया, आपस का प्रेम भाव कहां चला गया, हमारे समाज में दूरी कैसे पैदा हो गई? यह हमारी कल्पना से परे है।
सपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, आज जब मैं इस ‘प्लेटो के संत’ को देखता हूं, तो सोचता हूं कि हमारा वह ‘प्लेटो का संत’ सांप्रदायिक हो गया है। मैं आपसे कहूंगा कि आप इस पर विचार करें।
उन्होंने कहा, “मैं आलोचना की दृष्टि से नहीं कह रहा हूं। मैं आपको बड़ा बना रहा हूं। ‘प्लेटो का संत’ बहुत बड़ा होता है। वह साधारण नहीं होता।
नेता प्रतिपक्ष ने राज्य में हाल में संपन्न विधानसभा उपचुनावों का जिक्र करते हुए कहा, भाजपा बहुत इठलाती फिर रही है कि उसने सभी सीट पर उपचुनाव जीत लिया है। जीतने पर सबको खुशी होती है। चाहे बेईमानी से जीतो या ईमानदारी से जीतो।
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री जी अगर इस तरह से चुनाव व्यवस्था में दिक्कत पैदा होगी, जैसा कि अभी तक होता रहा है, तो लोकतंत्र में विश्वास घट जाएगा। अगर लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा और पुलिस के माध्यम से चुनाव लड़ा जाएगा, प्रशासन के माध्यम से चुनाव लड़ा जाएगा, तो पार्टियों का महत्व आने वाले दिनों में कम हो जाएगा।