
बिहार की राजनीति में जेडी(यू) और भाजपा के बीच सीएम पद को लेकर खींचतान जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी भागलपुर रैली में नीतीश कुमार को ‘लाडले मुख्यमंत्री’ कहकर संबोधित किया, लेकिन जेडी(यू) इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखी. पार्टी चाहती थी कि प्रधानमंत्री औपचारिक रूप से नीतीश को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एनडीए का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करे. वहीं, भाजपा के नेता इस मुद्दे पर परस्पर विरोधी बयान दे रहे हैं, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
इस मामले को और हवा तब मिली जब नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने प्रधानमंत्री की रैली के ठीक अगले दिन मांग की कि एनडीए को नीतीश को सीएम उम्मीदवार घोषित करना चाहिए. इसपर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पहले कहा कि चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव बाद संसदीय बोर्ड करेगा. बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मीडिया ने उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया और नीतीश ही एनडीए के सीएम उम्मीदवार हैं.
JDU हो रही इनसिक्योर
जेडी(यू) के लिए यह स्थिति असहज बनी हुई है, खासकर जब हाल ही में बिहार कैबिनेट का विस्तार हुआ और सात नए मंत्रियों की शपथ दिलाई गई, जो सभी भाजपा से हैं. इससे गठबंधन में सत्ता संतुलन बदलता हुआ दिखा. वहीं, विपक्षी राजद इस मौके का फायदा उठाने में जुटा है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि 2025 के बाद नीतीश फिर सीएम नहीं बन पाएंगे, जबकि शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश को उनके बेटे के बयान का संकेत समझना चाहिए.
सीटों की लिस्ट हो गई तैयार
हालांकि, भाजपा के सहयोगी दलों ने नीतीश को समर्थन देने का संकेत दिया है. हम (एस) प्रमुख जीतन राम मांझी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने भी नीतीश के नाम पर सहमति जताई. इस बीच, जेडी(यू) ने चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. पार्टी ने 243 में से 122 सीटों की सूची तैयार कर ली है, जबकि भाजपा 100-100 सीटों पर समझौते की संभावना जता रही है. दूसरी ओर, राजद नीतीश को महागठबंधन में वापस लाने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है.
नीतीश ही होंगे उत्तराधिकारी
सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा में इस बात की भी चिंता बढ़ी है कि जेडी(यू) अब नीतीश के उत्तराधिकारी की रूपरेखा तैयार कर रही है. निशांत कुमार के राजनीति में प्रवेश की अटकलों से यह संकेत मिल रहा है कि जेडी(यू) एक दीर्घकालिक योजना बना रही है, जिससे भाजपा की भूमिका कमजोर हो सकती है. राजद भी इस घटनाक्रम को अपने पक्ष में देख रही है और इसे समाजवादी शासन को आगे बढ़ाने का अवसर मान रही है.
बीजेपी में है चिंता
कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति में सत्ता का संतुलन लगातार बदल रहा है. जेडी(यू) अपने नेता को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करवाने के लिए दबाव बना रही है, भाजपा असमंजस में दिख रही है, और विपक्ष इसे अपने फायदे के लिए भुनाने की कोशिश कर रहा है. आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरण और भी दिलचस्प हो सकते हैं.