Unschooling: बच्चों की शिक्षा का नया तरीका, क्या भारत में है यह कानूनी?

लखनऊ डेस्क: अमेरिका में दो मिलियन से अधिक बच्चे होमस्कूलिंग करते हैं, जिनमें से लगभग 13% बच्चे ‘Unschooling’ पद्धति अपनाते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि Unschooling क्या है और भारत में इसके कानूनी पहलू क्या हैं।

Unschooling क्या है?

Unschooling एक शिक्षा पद्धति है जिसमें बच्चे पारंपरिक पाठ्यक्रम और औपचारिक शिक्षा प्रणाली के बजाय अपनी रुचियों और जिज्ञासा के आधार पर सीखते हैं। इस विचार को 1977 में अमेरिकी शिक्षक जॉन होल्ट ने लोकप्रिय किया था। उन्होंने “ग्रोइंग विदाउट स्कूलिंग” नामक पत्रिका शुरू की, जिसमें उन्होंने यह बताया कि बच्चे स्कूल के बाहर भी प्रभावी ढंग से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

Unschooling कैसे काम करती है?

इस पद्धति में:

  • बच्चे स्वयं यह तय करते हैं कि उन्हें क्या और कैसे सीखना है।
  • माता-पिता केवल एक सहायक वातावरण प्रदान करते हैं।
  • पाठ्यपुस्तकों और कार्यपुस्तिकाओं पर निर्भरता नहीं होती।
  • बच्चे किताबों, बातचीत, विभिन्न स्थानों पर भ्रमण और प्रकृति से सीखते हैं।
  • परीक्षा या ग्रेडिंग का कोई दबाव नहीं होता।
  • बच्चे अपनी गति से सीखते हैं।

अनस्कूलिंग के लाभ

इस पद्धति के कई फायदे हैं:

  • यह एक सुरक्षित और अनुकूल शिक्षण वातावरण प्रदान करता है।
  • यह परिवार के मूल्यों के अनुरूप शिक्षा देने में मदद करता है।
  • परीक्षा के तनाव से मुक्ति मिलती है (शोध से पता चलता है कि 40% बच्चों को परीक्षा का डर होता है)।
  • बच्चों में सीखने की उत्सुकता और जिज्ञासा बढ़ती है।
  • परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत बनाता है।
  • लचीला कार्यक्रम परिवार-केंद्रित जीवनशैली को बढ़ावा देता है।

अनस्कूलिंग एक ऐसा विकल्प है जिसमें बच्चे स्वाभाविक रूप से अपनी जिज्ञासा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करते हैं, और माता-पिता उनके इस सफर में सहायक होते हैं।

भारत में होमस्कूलिंग/अनस्कूलिंग का वर्तमान परिदृश्य

भारत में होमस्कूलिंग की अवधारणा अन्य देशों से अलग है। यह एक अचानक अपनाई गई पद्धति नहीं है, बल्कि यह 1970 के दशक में हुए बदलावों का परिणाम है, जिन्होंने शिक्षा के वैकल्पिक तरीकों के प्रति एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न किया। भारतीय सरकार ‘शिक्षा के अधिकार’ को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, और इस कारण भारतीय न्यायिक प्रणाली ने होमस्कूलिंग और ऑनलाइन शिक्षा को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं माना है।

भारत में अनस्कूलिंग की वैधता

भारत में अनस्कूलिंग (जो होमस्कूलिंग से अलग है, क्योंकि इसमें औपचारिक पाठ्यक्रम का पालन नहीं किया जाता) की वैधता कुछ हद तक अस्पष्ट है। हालांकि, RTE अधिनियम ने होमस्कूलिंग या अनस्कूलिंग को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है, लेकिन इसे अवैध भी नहीं माना गया।

2010 में, गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा था कि माता-पिता अपने बच्चों को घर पर शिक्षा देने का विकल्प चुन सकते हैं, बशर्ते वे बच्चे के समग्र विकास का ध्यान रखें। वर्तमान में, कई भारतीय परिवार विभिन्न ऑनलाइन स्कूलों, ओपन स्कूलिंग सिस्टम (जैसे NIOS) या विदेशी बोर्ड के माध्यम से होमस्कूलिंग का विकल्प चुनते हैं, जो कानूनी रूप से स्वीकार्य हैं।

अनस्कूलिंग के मामले में यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे के सीखने के अनुभव को दस्तावेजित किया जाए और वह कुछ मानक मूल्यांकनों में भाग ले, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका शैक्षिक विकास हो रहा है।

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