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मुंबई । पूर्व सेबी (Securities and Exchange Board of India) अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अन्य उच्च अधिकारियों पर आरोप लगे हैं। मुंबई की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत ने आदेश दिया है कि उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाए। यह मामला एक कंपनी की कथित धोखाधड़ीपूर्ण लिस्टिंग से जुड़ा है, जिसके कारण बाजार में हेरफेर और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला, जिससे निवेशकों को नुकसान हुआ।
मुख्य आरोप: शिकायतकर्ता का कहना है कि सेबी के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभाया नहीं, जिसके कारण एक अयोग्य कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट कर दिया गया। इससे बाजार में हेरफेर की संभावना बढ़ी और निवेशकों को नुकसान हुआ।
आरोपित अधिकारी: मामले में माधबी पुरी बुच सहित कई प्रमुख अधिकारी शामिल हैं, जिनमें:
माधबी पुरी बुच (पूर्व सेबी अध्यक्ष)
अश्विनी भाटिया (सेबी के पूर्णकालिक सदस्य)
अनंत नारायण जी (सेबी के पूर्णकालिक सदस्य)
कमलेश चंद्र वर्श्नेय (सेबी के वरिष्ठ अधिकारी)
प्रमोद अग्रवाल (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष)
सुंदररमन राममूर्ति (बीएसई के सीईओ)
आगे की कार्रवाई:
अदालत ने ACB को 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। इस रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है और क्या कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
माधबी पुरी बुच के बारे में: माधबी पुरी बुच पहले भी विवादों में रह चुकी हैं। अगस्त 2024 में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति की विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी थी, जो अडानी समूह से जुड़ी थीं। इसके अलावा, 2024 में सेबी के 1,000 से अधिक कर्मचारियों ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, और उन्होंने कार्यस्थल के विषाक्त माहौल का आरोप लगाया था। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है, और क्या ACB की जांच में कोई नया मोड़ आता है।