निराश लौट रहें फरियादी, नहीं बैठते हैं तहसील में अधिकारी

प्रयागराज : जिले में जमुनापार के अंतिम छोर पर कोरांव तहसील स्थित है। यहां पर उच्चाधिकारियों द्वारा उपजिलाधिकारी, तहसीलदार और दो नायब तहसीलदार की नियुक्ति की गई है, ताकि जनता को त्वरित न्याय मिल सके और जब तहसील में कोई फरियादी अपनी फरियाद लेकर पहुंचे, तो कोई न कोई अधिकारी से मुलाकात हो। लेकिन कोरांव तहसील में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।

बताया जा रहा है कि शासन के आदेशानुसार, कोरांव तहसील में नियुक्त जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे हैं, जिससे फरियादी और वादकारी तहसील का चक्कर काटते फिर रहे हैं। पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है, और तहसील में समय पर आलाधिकारी जन सुनवाई नहीं करते। वे अपने आवास में बैठे-बैठे ही अपने मातहतों को बुलाकर फाइलें मंगवा कर निस्तारण कर रहे हैं, और जनता से सीधे संपर्क में नहीं आ रहे। इस कारण आम जनता में नाराजगी बढ़ रही है। शिकायतों का निस्तारण बैठे-बैठे, बिना मौके पर गए किया जा रहा है, जिससे फरियादी बार-बार एक ही समस्या को लेकर वर्षों से चक्कर काट रहे हैं। इससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। वहीं, दूसरी ओर, अधिवक्ता भी मजबूर हैं, क्योंकि मुकदमा आलाधिकारी के कोर्ट में है, जिस कारण उन्हें दबाव नहीं बना पा रहा है।

कोरांव से प्रयागराज शहर काफी दूर होने के कारण फरियादी अपनी शिकायतें जल्दी से जिले पर नहीं पहुंचा पाते। साथ ही, फरियादी, वादकारी, पत्र प्रतिनिधि और अन्य कई लोग यह भी कहते हैं कि उपजिलाधिकारी का सियुजी नंबर रिसीव नहीं होता। जबकि सरकार द्वारा जनता से सीधे संवाद बनाने के लिए सरकारी सियुजी नंबर दिया गया है, लेकिन कोरांव तहसील में उच्चाधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। क्षेत्र के लोगों ने जिलाधिकारी प्रयागराज का ध्यान आकृष्ट करते हुए मांग की है कि तहसील में नियुक्त अधिकारी जो अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे हैं, उनके खिलाफ विभागीय जांच कराई जाए और उन्हें स्थांतरित किया जाए।

प्राइवेट कर्मचारी चला रहे तहसील के कार्यालय

कोरांव तहसील में अधिकांश सरकारी कामकाज प्राइवेट कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। अगर प्राइवेट कर्मचारी न हों, तो सरकारी कामकाज होना मुश्किल हो जाता है। जबकि उच्च अधिकारियों का सख्त निर्देश है कि अगर प्राइवेट कर्मचारी तहसील में काम करेंगे, तो तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन यह आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है। इस कारण से आयेदिन फाइलों का गायब होना और भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हो गई हैं। प्राइवेट कर्मचारियों से सुविधा शुल्क की सौदेबाजी की जाती है, ताकि सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए न पकड़ा जा सके। इसके चलते कोरांव तहसील में प्राइवेट कर्मचारियों की संख्या दर्जनों में बढ़ गई है।

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