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दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों पर आई कैग (CAG) रिपोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के स्वास्थ्य मॉडल की गंभीर आलोचना की है। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो सरकार के दावे और योजनाओं की वास्तविकता पर सवाल उठाते हैं।
मुख्य बिंदुओं में, मोहल्ला क्लीनिकों में दवाओं का संग्रहण अस्वच्छ और अव्यवस्थित तरीके से किया गया है। दक्षिणी दिल्ली के दवा भंडार में दवाओं को शौचालय परिसर और सीढ़ियों पर रखा गया है, जबकि बेसमेंट में एयर कंडीशनिंग और वेंटिलेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे यह साफ होता है कि दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 2022 से 2023 के बीच, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दवा स्टोर में 26 आवश्यक दवाएं तक उपलब्ध नहीं थी। कुछ दवाएं 16 महीने तक गायब रही। इसी तरह के आंकड़े कई अन्य जिलों से भी सामने आए, जिनमें डिस्पेंसरियों में दवाओं की भारी कमी का सामना किया गया। ऐसे में मरीजों को उचित इलाज और दवाइयां समय पर नहीं मिल पा रही हैं, जो कि इस सिस्टम की विफलता को दिखाता है।
सिर्फ दवाओं का मुद्दा ही नहीं, बल्कि मोहल्ला क्लीनिकों की निगरानी भी लापरवाही का शिकार रही है। मार्च 2018 से मार्च 2023 तक 218 मोहल्ला क्लीनिकों के 11,191 निरीक्षण होने चाहिए थे, लेकिन महज 175 निरीक्षण हुए। यह आंकड़े साफ तौर पर बताने के लिए पर्याप्त हैं कि सरकारी तंत्र इन क्लीनिकों की स्थिति पर नजर रखने में गंभीर रूप से असफल रहा है।
आयुष डिस्पेंसरियों की हालत भी जरा बेहतर नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 68 प्रतिशत आयुर्वेदिक, 72 प्रतिशत यूनानी और 17 प्रतिशत होम्योपैथी डिस्पेंसरियों में ओपीडी सप्ताह में केवल 6 दिन खुलने में नाकाम रहती हैं। इसके कारण मरीजों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। 2016-17 में जहां 34.72 लाख मरीजों ने इन डिस्पेंसरियों से इलाज कराया था, वह संख्या 2022-23 में घटकर 28.13 लाख रह गई है।
कैग की रिपोर्ट में इन बुनियादी खामियों के अलावा यह भी सामने आया है कि इस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश और सुधार की बहुत आवश्यकता है, ताकि आम जनता को बेहतर और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने इस रिपोर्ट के आधार पर भाजपा से आग्रह किया है कि वे आम आदमी पार्टी के कार्यकाल से संबंधित सभी कैग रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखें। उनका कहना है कि भाजपा ने विधानसभा के पहले सत्र में इन रिपोर्टों को पेश करने का वादा किया था, लेकिन सिर्फ एक आबकारी घोटाले की रिपोर्ट को ही प्रस्तुत किया गया है, जबकि सच्चाई को छिपाने के प्रयास किए जा रहे हैं।