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भास्कर ब्यूरो
- राष्ट्रीय सम्मेलन में दिव्यांगजन सशक्तीकरण को नई दिशा मिली।
- महाकुंभ-2025 में दिव्यांगजन सशक्तीकरण पर मंथन।
- महाकुंभ में वेब पोर्टल लॉन्च हुआ।
- दिव्यांगजन के अधिकार और शिक्षा पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन।
- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा से लेकर दिव्यांगता के आकलन तक, राष्ट्रीय कार्यशाला में गहन चर्चा हुई।
महाकुंभ : महाकुंभ-2025 के अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा आयोजित ‘दिव्य कुम्भ प्रदर्शनी’ के अंतर्गत राज्य आयुक्तों के राष्ट्रीय सम्मेलन में दिव्यांग पोर्टल का उद्घाटन किया गया। इस कार्यशाला में देशभर के राज्य आयुक्तों और विशेषज्ञों ने भाग लिया, जहां दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण, उनके अधिकारों और शिक्षा पर व्यापक चर्चा की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राजेश अग्रवाल, मुख्य आयुक्त, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य आयुक्त दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के वेब पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल के जरिए दिव्यांगजनों को विभिन्न योजनाओं और सेवाओं की जानकारी सुगमता से उपलब्ध होगी।
महाकुंभ पर आधारित वृत्तचित्र का प्रदर्शन
कार्यशाला के दौरान महाकुंभ-2025 पर आधारित एक वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया, जिसमें दिव्यांगजनों की भागीदारी और उनके लिए की गई विशेष व्यवस्थाओं को दिखाया गया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, श्री सुभाष चंद शर्मा ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की।
संयुक्त सचिव, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, श्री राजीव शर्मा ने दिव्यांगजनों के अधिकारों और उनके सशक्तीकरण से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में दिव्यांगजनों की सामाजिक भागीदारी, शिक्षा और रोजगार को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ। डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रो. संजय सिंह और जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में ALIMCO, कानपुर और क्षेत्रीय पुनर्वास केंद्र, लखनऊ के विशेषज्ञों ने दिव्यांगजनों के लिए तकनीकी सहायता और पुनर्वास कार्यक्रमों की जानकारी दी। दिव्यांगता के आकलन और UDID कार्ड जारी करने से संबंधित भारत सरकार की 12 मार्च 2024 और 16 अक्टूबर 2024 की अधिसूचनाओं को लागू करने की रणनीति पर भी चर्चा हुई।
कार्यशाला में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक ड्रॉपआउट रोकने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। इसके तहत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को प्रभावी बनाने और दिव्यांग छात्रों को अधिक संसाधन उपलब्ध कराने के विषय पर चर्चा हुई।
कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आए वरिष्ठ अधिकारियों और राज्य आयुक्तों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से श्री प्रवीण पुरी (आईएएस, महाराष्ट्र), श्री विजय राजपूत (आईएएस, गुजरात), श्री सी. उदय कुमार (आईएएस, अंडमान-निकोबार), श्रीमती अदिति चौधरी (आईएएस, पश्चिम बंगाल), श्रीमती सोनाली पी. वायंगकर (प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश), श्रीमती बृतती हरिचंदन (ओडिशा), श्री गुरुप्रसाद पवस्कर (गोवा), श्री एस.डी. सुंदरेशन (पुडुचेरी), श्रीमती शैलजा (तेलंगाना), श्री दास सूर्यवंशी (कर्नाटक), प्रो. पी.टी. बाबूराज (केरल) और अचिंतन किलिकदर (त्रिपुरा) शामिल थे।
इसके अतिरिक्त, श्री एस. गोविंदराज (आयुक्त, दिव्यांगजन, भारत सरकार), श्री प्रवीण प्रकाश अंबष्ठ (उप मुख्य आयुक्त, दिव्यांगजन, भारत सरकार), श्री अमित कुमार सिंह (संयुक्त निदेशक, निदेशालय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ), श्री रणजीत सिंह (संयुक्त निदेशक, निदेशालय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ), श्री मधुरेंद्र पर्वत (रजिस्ट्रार, जगदगुरु रामभद्राचार्य राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट), श्री अभय कुमार श्रीवास्तव (उपनिदेशक, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, प्रयागराज मंडल, प्रयागराज), श्री सतेंद्र त्रिपाठी (उपनिदेशक, वाराणसी मंडल, वाराणसी), श्री राजेश मिश्रा (उपनिदेशक, विन्ध्याचल मंडल, विन्ध्याचल) और विभिन्न जिलों के दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी भी इस कार्यशाला में उपस्थित रहे।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा, उनके सशक्तीकरण और शिक्षा की पहुंच को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।