‘काले कानून’ के खिलाफ जंग का ऐलान, 25 फरवरी को प्रदेशव्यापी हड़ताल

भास्कर ब्यूरो

  • बॉर काउंसिल पर नियंत्रण की कोशिश के विरोध में हुंकार
  • पांच सदस्यीय नामित कमेटी किसी भी सूरत में मंजूर नहीं
  • 23 को काली पट्टी बांधकर कचहरी में होगा विरोध-प्रदर्शन

कानपुर : बॉर काउंसिल पर सरकारी नियंत्रण की कोशिश के विरोध में काले कानून के खिलाफ इंकलाब गूंजने लगा है। अधिवक्ता संशोधन बिल-2025 के मसौदे के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला का ऐलान कर दिया गया है। तय रणनीति के हिसाब से 23 फरवरी को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों के साथ तहसील मुख्यालयों पर काली पट्टी बांधकर नाराजगी जताएंगे। अगले पड़ाव पर 25 फरवरी को जबरदस्त हड़ताल होगी, साथ ही कोषागार और रजिस्ट्री आफिस का घेराव करने का फैसला किया गया है।

हड़ताल के दौरान काम करने वालों को कचहरी-तहसील परिसर से सदैव के लिए बेदखल कर दिया जाएगा। संशोधन विधेयक के विरोध में वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने केंद्र सरकार को चिट्ठी भेजना भी शुरू कर दिया है।

सरकार ने बॉर काउंसिल के प्रतिनिधियों से चर्चा करने का मूड बनाया है। मान-मनौव्वल के लिए दूतों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बैनामा कराने की इजाजत भी नहीं मिलेगी : उत्तर प्रदेश बॉर काउंसिल के उपाध्यक्ष अनुराग पाण्डेय के मुताबिक, अधिवक्ता संशोधन बिल-2025 के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति बनाई गई है। पहले चरण में 21 फरवरी को

वकील एकता ‘जिन्दाबाद’

जिला मुख्यालयों में जिलाधिकारी तथा तहसीलों में उपजिलाधिकारी अथवा तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर विरोध जताएंगे। इस दौरान अधिवक्ताओं संरक्षण बिल के मसौदे में बॉर काउंसिल के सुझावों को शामिल करते हुए यथाशीघ्र लागू करने के लिए मांग-पत्र भी सौंपा जाएगा। विरोध-प्रदर्शन के दरमियान अधिवक्ता काली पट्टी बांधकर नाराजगी भी जाहिर करेंगे। हड़ताल

संशोधन कानून की आड़ में नियंत्रण की साजिश

उत्तर प्रदेश बॉर काउंसिल के सदस्य अंकज मिश्रा ने अधिवक्ता संशोधन बिल-2025 की खामियों को उजागर करते हुए बताया कि, नए मसौदे के मुताबिक, केंद्र सरकार के आदेश का अनुपालन करना बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ-साथ समस्त राज्यों की बॉर काउंसिल के लिए बाध्यकारी होगा। काउंसिल में नामित सदस्यों की घुसपैठ के जरिए अधिवक्ताओं की स्वात्यशासी संस्था का मूल चरित्र बदलने की कोशिश है। श्री मिश्रा का दावा है कि, पदेन सदस्यों के माध्यम से संस्था में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि, अधिवक्ता संशोधन बिल-2025 के प्रावधानों के मुताबिक, तीन वर्ष से अधिक की सजा वाले मुकदमे में किसी अधिवक्ता के नामजद होने पर लाइसेंस निलंबित करना मुमकिन होगा। ऐसी व्यवस्था में सिर्फ मुकदमा होने और विवेचना होने की स्थिति में कोई भी अधिवक्ता चुनाव लड़ने के लिए अपात्र हो जाएगा। जाहिर है, इस अलोकतांत्रिक फैसले से न्याय की लड़ाई लड़ने वालों को कठपुतली बनाने की मंशा है। अंकज मिश्रा ने बताया कि नए प्रावधानों के मुताबिक, केंद्र सरकार को किसी भी फैसले से सहमत नहीं होने की स्थिति में बॉर काउंसिल को निलंबित करने का अधिकार मिलेगा।

सरकार को चिट्ठी भेजी में क्या है लिखा

बॉर एसोसिशन के पूर्व अध्यक्ष नरेशचंद्र त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित पत्र में अधिवक्ता संशोधन बिल-2025 को अधिवक्ता हितों के खिलाफ करार दिया है। श्री त्रिपाठी ने संशोधन बिल का मसौदा बनाने वालों का नाम सार्वजनिक करने की मांग उठाते हुए प्रस्तावित कानून को तत्काल खारिज करने की बात चिट्ठी में लिखी है। कचहरी के कई अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने केंद्रीय कानून मंत्री, प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को पत्र भेजकर नाराजगी जताई है। उधर, बॉर काउंसिल से हड़ताल के आह्वान के बाद वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ-साथ अधिवक्ता संघ आंदोलन को कामयाब बनाने में जुट गए हैं। बॉर एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह अपनी टोली के साथ बुधवार को रणनीति बनाने में जुट गए हैं। उन्होंने कहाकि, सरकार की नीतियों से असहमत अधिवक्ताओं को पाबंद करने की साजिश को बेपर्दा करेंगे। हड़ताल की कामयाबी के सवाल पर महामंत्री ने कहाकि, न्याय की लड़ाई में सभी अधिवक्ता एकराय एकजुट है।

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