
- सड़क बनवाने की मांग को लेकर किया धरना प्रदर्शन
- तहसीलदार के आश्वासन पर तीन दिन बाद समाप्त हुआ धरना
मिश्रिख-सीतापुर । मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो या फिर अन्य कोई समस्याएं, आम नागरिकों-ग्रामीणों के लिए इन्हें प्राप्त करना टेढ़ी खीर है। खास परस्पर संपर्क मार्ग की बात हो तो पहुंच वालों के द्वार तक पक्की सड़कें बन जाएंगी लेकिन आम ग्रामीणों को ये सुविधा दशकों बाद भी नहीं मिलेगी। ऐसी ही धारणा इन दिनों भरतपुर गांव के लोगों में बन चुकी है। आजादी के बाद से यहां के ग्रामीण सोते-जागते पक्की सड़क की आस लगाए बैठे हैं लेकिन उन्हें ये आज तक नसीब नहीं हुई है।
हम बात कर रहे है, तहसील मिश्रिख क्षेत्र की ग्राम पंचायत सरसई के मजरा भारतपुर की, जहां पर सीतापुर-हरदोई मार्ग से जोड़ती हुई जोतपुर तिराहे से सरसई जाने के लिए प्रधानमंत्री योजना के तहत सड़क निर्मित है। यहीं से एक मार्ग भारतपुर गांव की ओर जाता है। ये मार्ग कच्चा होने के साथ-साथ खतरनाक गड्ढेयुक्त भी है। जिस पर गर्मी-ठंड के दिनों में भी आवागमन करना खतरनाक रहता है। साइकिल, बाइक से आने-जाने वाले लोग आए दिन गिरते-पड़ते देखे जाते हैं।
वहीं बारिश के दिनों में तो भारतपुर गांव के लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाता है। बरसाती पानी से होने वाली भारी कीचड़ के कारण एक तरह से वे अपने गांव-घर में ही कैद होकर रह जाते हैं। गांव में ऐसे हालात आजादी के पहले से से हैं। हालांकि चुनाव दर चुनाव वोट लेने के लिए यहां पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि हर बार ग्रामीणों की इस मांग पर पक्की सड़क बनवाने का वादा करते रहे हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने भी यहां पर पक्की सड़क निर्माण की कोई कोशिश नहीं की।
ग्रामीणों की मांगों को अनसुना कर दिया जाता रहा। जबकि आसपास के ऐसे भी गांव हैं, जहां पर पहुंच वाले निवासरत हैं। जिन्होंने अपने प्रभाव के कारण सड़क निर्मित करा ली है। इसे देखकर भारतपुर गांव के लोगों में ये धारणा बैठ गई है कि जिस गांव में वजनदार नेता रहते हैं, उसी गांव में प्रधानमंत्री योजना समेत अन्य मद से पक्की सड़कों का निर्माण होता है।
भारतपुर के ग्रामीण बताते हैं कि मात्र डेढ़ किमी के इस कच्चे मार्ग के कारण बीमारों को अस्पताल पहुंचाना तक मुश्किल हो जाता है। कीचड़ होने पर यहां एंबुलेंस तक प्रवेश नहीं कर पाती। ग्रामीण खाट पर मरीज को लिटाकर अस्पताल पहुंचाते हैं। यह कृत्य स्वजनों के लिए बेहद दुखदायी व शारीरिक कष्ट बढ़ाने वाला होता है। गंभीर स्थिति में मरीज की जान पर बन आती है। बारिश के दिनों में यहां मचने वाली दलदल में पैदल चलना तक नामुमकिन है।
ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत द्वारा भी पक्की सड़क निर्माण की दिशा में प्रयास न किए जाने से लेकर आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही उनके गांव में आते हैं। उनके पास उन्हें देने के लिए सिवाय झूठे आश्वासनों के अलावा और कुछ नहीं है। अब तो इस गाँव के ग्रामीण गाँव में ही टेंट लगाकर धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर हो गए है। पिछले तीन दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन को तहसीलदार मिश्रिख ने जल्द ही सड़क बनाने का अस्वाशन देकर धरना समाप्त करा दिया है।










