कानपुर देहात: हाईवे पर गौवंश का डेरा, हादसे का खतरा बरकरार… गांव में बनी गौशाला फिर भी संरक्षण की हो रही अनदेखी

भास्कर ब्योरो

  • गांव में बनी गौशाला फिर भी संरक्षण की अनदेखी
  • अभियान खत्म हो गया ज्यों का त्यों घूम रहे गौवंश
  • जिम्मेदार बोले हाईवे अथॉरिटी की मदद लेनी पड़ेगी

कानपुर देहात: सरवनखेड़ा ब्लाक के रायपुर में हाईवे पर गौवंश के झुंड डेरा जमाए हैं। कभी डिवाइडर पर तो कभी हाईवे पर ही बैठ जाते हैं। कई बार तो नंदी जब आपस में लड़ते हैं तो हाइवे पर पहियों की रफ्तार थम जाती है। वाहन सवारों की सांसे अटक जाती हैं। किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। अचानक गाय सामने आने से कई बार छुटपुट घटनाएं हो चुकी हैं। हाईवे से अक्सर निकलने वाले आलाधिकारियों को ये गौवंश नजर नहीं आ रहे हैं।

कहने के लिए तो रायपुर में गौ आश्रय स्थल बना है। इसके बाद भी हाईवे पर व गजनेर रोड पर मुड़ते ही गायों के झुंड बैठे रहते हैं। कई नंदी काले रंग हैं जो रात में अंधेरे में दिखाई नहीं पड़ते और अचानक नजर पडऩे पर वाहन सवार उन्हें बचाने के प्रयास में अनियंत्रित हो जाते हैं। इन गायों और नंदी के संरक्षण के लिए कोई अफसर गंभीर नहीं है। रायपुर के ग्राम पंचायत अधिकारी को हाईवे पर घूम रही आवार गायें नजर नहीं आ रही हैं। जबकि जिले के आला अफसर भी यहां से निकल कर कानपुर में कमिश्रर मीटिंग व लखनऊ जाते रहते हैं। अफसरों ने भी इन गायों को आश्रय स्थल तक पहुंचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए।

अभियान खत्म हो गया गायें ज्यों की त्यों घूम रहीं


योगी सरकार गायों को आश्रय स्थलों में रखने के लिए लगातार निर्देश दे रही है। उनके भरण पोषण की भी व्यवस्था सरकार की ओर से की जा रही है। गौवंश को पकड़ कर संरक्षित करने के लिए कई चरण में अलग-अलग अभियान चलाए गए। हालाकि इनमें संख्या काफी कम हुई लेकिन इस समस्या से पूरी तरह निदान नहीं मिल सका। जनवरी में ये खत्म हो चुका है। इसके बाद भी गांवों की तो बात छोड़ों हाईवे पर ही गायों के डेरे नहीं हटाए जा सके हैं। सरकार के निर्देश सिर्फ अफसरों के टेबिल तक ही सीमित हैं। हकीकत में आवार गौवंश की समस्या से निजात मिलना संभव नहीं दिख रहा है।

वहीं इस पूरे प्रकरण में डॉ सुबोध बरनवाल (मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी) का बयान भी आया है जिसपर उन्होंने कहा कि रायपुर में हाईवे पर गायों के घूमने की जानकारी नहीं है। एनएचएआई के आथॉरिटी से बात करके गायों को पकडऩे की कोशिश की जाएगी। रात में अगर गायें खेतों की तरफ चरने जाती हैं तो किसानों और कर्मचारियों की मदद से पकड़ कर उन्हें संरक्षित कराया जाएगा।-डॉ सुबोध बरनवाल, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

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