Delhi CM Face: दिल्ली में दलित चेहरा हो सकता है नया सीएम!…पीएम के अमेरिका से लौटने पर होगा अंतिम फैसला

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा ने सत्ता में वापसी की तैयारी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 से 13 फरवरी तक फ्रांस और अमेरिका दौरे पर होने के कारण दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 13 फरवरी के बाद होने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा का मानना है कि नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री का मौजूद होना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि दिल्ली में भाजपा की 26 साल बाद वापसी हुई है। इस सिलसिले में पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित चेहरों को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

पार्टी नेताओं की अहम बैठक: सीएम के लिए रणनीति

रविवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच सीएम पद के लिए बैठक हुई, जिसमें सरकार गठन और पार्टी के अगले कदमों पर विस्तृत चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सीएम पद के लिए एक चेहरा तय करने को लेकर कई विकल्पों पर विचार किया गया। इस चर्चा के बाद कुछ और बैठकें होने की संभावना है। यह बैठकों का सिलसिला तब और तेज हुआ जब विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार को आए, और उसी दिन भाजपा मुख्यालय में शीर्ष नेताओं की एक अहम बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख नामों में प्रवेश वर्मा का नाम सामने आया है, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को शिकस्त दी है। इसके अलावा कई अन्य नेताओं का नाम भी चर्चा में है। पार्टी के लिए यह एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा, खासकर दिल्ली की सियासी और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए। पार्टी इस पद पर दलित चेहरा भी तय कर सकती है, ताकि समाज के एक बड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया जा सके।

चौंकाने वाला फैसला: लो प्रोफाइल नेता को भी मिल सकता है मौका

भाजपा की सियासत में चौंकाने वाले फैसलों की परंपरा रही है, और दिल्ली में भी पार्टी किसी कम पहचाने जाने वाले, लो प्रोफाइल नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है। ऐसे नेता, जिन्होंने संगठन में अपनी अहम भूमिका निभाई हो, लेकिन जो मीडिया से ज्यादा दूर रहते हैं, उन्हें भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा में इस तरह के संभावित फैसले हमेशा चर्चा में रहते हैं, क्योंकि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व के सामने कई समीकरणों का ध्यान रखती है।

सीएम आवास पर भाजपा का नया रुख: 6, फ्लैगस्टाफ रोड नहीं रहेगा मुख्यमंत्री का घर

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद, भाजपा ने एक और बड़ा कदम उठाया है। भाजपा ने तय किया है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सरकारी आवास, जिसे शीशमहल कहा जाता है, अब नए मुख्यमंत्री का निवास स्थान नहीं बनेगा। यह इमारत 45 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई थी, और पार्टी का मानना है कि इसका उपयोग अब केवल जनता के लिए खुला रखा जाएगा। पार्टी ने यह फैसला लिया है कि इस आवास को अस्थायी रूप से लोगों के दर्शन के लिए खोला जाएगा, और यह नए मुख्यमंत्री के लिए निवास स्थान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

विजय रैली का उत्साह: भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक जनता का आभार व्यक्त कर रहे हैं

भा.ज.पा. के नवनिर्वाचित विधायक विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद अपने-अपने क्षेत्र में विजय रैलियां निकाल कर जनता का आभार व्यक्त कर रहे हैं। करावल नगर से जीतने वाले कपिल मिश्रा, आदर्श नगर से राजकुमार भाटिया, जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह, और मालवीय नगर से सतीश उपाध्याय जैसे विधायक अब अपने क्षेत्रों में जाकर जनता का धन्यवाद कर रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने अपने हाथों से लड्डू खिलाकर आभार व्यक्त किया। प्रवेश वर्मा ने भी अपनी जीत के बाद क्षेत्र के लोगों को लड्डू खिलाए और उनका आभार व्यक्त किया।

विजेंद्र गुप्ता, जो रोहिणी विधानसभा से जीतकर आए हैं, ने जीत के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की और भविष्य की नीतियों पर चर्चा की। गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिल्ली के लिए जो विजन है, वही उनकी सफलता का कारण है। उनके मुताबिक यह जीत केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के नागरिकों की जीत है।

भ्रष्टाचार पर उठे सवाल: भाजपा का हमला

विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में सीएजी की 14 रिपोर्ट्स के आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया है। उनका कहना है कि इन रिपोर्ट्स से आप सरकार का काला चिट्ठा उजागर हो जाएगा। भाजपा ने कहा कि अब समय आ गया है कि दिल्ली की जनता को यह स्पष्ट हो कि भ्रष्टाचार के मामले में आप सरकार ने किस तरह से काम किया है।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

दिल्ली में भाजपा की वापसी के साथ ही पार्टी को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा। सीएम पद की नियुक्ति, संगठन की सुदृढ़ता, और दिल्ली की जटिल सियासत में भाजपा को संतुलन बनाए रखने की जरूरत होगी। इसके अलावा, 2024 के आम चुनावों की तैयारी भी इस राज्य से जुड़ी होगी, जिससे दिल्ली का महत्व और बढ़ जाएगा।

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