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बच्चों में मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या बढ़ती जा रही है, जो उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इस लेख में, हम बच्चों में डायबिटीज के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
बच्चों में डायबिटीज के प्रकार:
टाइप 1 डायबिटीज: यह तब होता है जब अग्नाशय इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन नहीं करता। यह बच्चों में सबसे आम प्रकार है और लगभग दो-तिहाई मामलों में पाया जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज: इसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं। यह मुख्यतः मोटे बच्चों में देखा जाता है और 1990 के दशक तक, डायबिटीज वाले 95% से अधिक बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज था, लेकिन अब मुख्य रूप से ज़्यादा वज़न वाले या मोटे बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण, लगभग एक-तिहाई बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज है।
बच्चों में डायबिटीज के कारण:
मोटापा: अत्यधिक वजन बढ़ना बच्चों में डायबिटीज का प्रमुख कारण है। मोटे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है।
आनुवंशिकता: परिवार में डायबिटीज का इतिहास होने से बच्चों में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
शारीरिक निष्क्रियता: व्यायाम की कमी और गतिहीन जीवनशैली डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाती है।
अस्वस्थ आहार: अत्यधिक शर्करा और वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन डायबिटीज के विकास में योगदान कर सकता है।
बच्चों में डायबिटीज के लक्षण:
अत्यधिक प्यास लगना: ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि के कारण शरीर में पानी की कमी होती है, जिससे अधिक प्यास लगती है।
बार-बार पेशाब आना: उच्च रक्त शर्करा के कारण किडनी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे बार-बार पेशाब की इच्छा होती है।
अत्यधिक भूख लगना: शरीर की कोशिकाओं में ऊर्जा की कमी के कारण भूख बढ़ जाती है।
अत्यधिक थकान: ऊर्जा की कमी के कारण बच्चे थके-थके महसूस कर सकते हैं।
मूत्र में कीटोन्स की उपस्थिति: इंसुलिन की कमी के कारण मांसपेशियों और वसा के टूटने से कीटोन्स बनते हैं, जो मूत्र में पाए जाते हैं।
बच्चों में डायबिटीज से बचाव के उपाय:
स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं। शर्करा और वसा वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
नियमित व्यायाम: दैनिक शारीरिक गतिविधि से वजन नियंत्रण में मदद मिलती है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।
परिवारिक इतिहास की जानकारी: यदि परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, तो बच्चों की नियमित जांच करवाएं।
शिक्षा और जागरूकता: बच्चों और उनके परिवारों को डायबिटीज के लक्षण, कारण और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच: बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच से समय पर डायबिटीज का पता चल सकता है और उचित उपचार शुरू किया जा सकता है।
बच्चों में डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है, लेकिन उचित आहार, नियमित व्यायाम और समय पर जांच से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। माता-पिता और अभिभावकों को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।