दहेज हत्या : बुलेट न मिलने पर पत्नी का बेरहमी से किया कत्ल, न्यायलय ने सुनाई फांसी की सजा

बरेली। दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर पर पति ने पत्नी की गला काटकर हत्या कर दी। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा है कि प्रेम में किसी की जान नहीं ली जाती। पति पत्नी का संबंध ही प्रेम पर चलता है। मकसद अली ने जिस तरह से अपनी पत्नी की गला काटकर हत्या की, यह पति-पत्नी के संबंध पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। दहेज की मांग और घरेलू हिंसा के चलते एक निर्दोष महिला की जान जाना बहुत ही निंदनीय है। कोर्ट का यह निर्णय, दोषियों को फांसी की सजा देना, यह संदेश देता है कि ऐसे अपराधों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए समाज को मिलकर काम करना जरूरी है। यह सजा शायद एक संदेश है कि ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अन्य लोगों को इसके गंभीर परिणामों का एहसास हो। इसमें जो सबसे गंभीर बात है, वह यह है कि फराह को बार-बार इस तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा, और उसके बाद भी उसकी मौत हो गई। जबकि उसने अपने पति और ससुराल वालों से उम्मीद की थी कि अब वे दहेज की मांग छोड़ देंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कानून और जागरूकता को और मजबूती से लागू करने की जरूरत है।

मुसब्बर अली का बयान भी यह दर्शाता है कि ससुरालियों के व्यवहार में कोई सुधार नहीं आया था, और यह दिखाता है कि दहेज की मांग केवल एक आर्थिक दबाव नहीं होती, बल्कि यह महिलाओं को मानसिक रूप से भी बहुत नुकसान पहुंचाती है।

बेरहमी से उसकी हत्या की गई। मामले में उन्होंने नवाबगंज थाने में प्राथमिकी लिखाई। सरकारी वकील दिगम्बर सिंह ने कोर्ट में आठ गवाह पेश किए। फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने मामले में पति मकसद अली, ससुर साबिर अली व सास मसीतन उर्फ हमशीरन को फराह की हत्या का दोषी माना है। तीनों को फांसी की सजा सुनाई है।

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि मुस्लिम समाज में निकाह को बहुत बड़ा पुण्य का कार्य माना गया है। हजरत मोहम्मद साहब का कथन है कि निकाह मेरी सुन्नत है, जो लोग जीवन के इस ढंग को नहीं अपनाते वह मेरे अनुयायी नहीं हो सकते।

कोर्ट ने टिप्पणी की है कि जिस तरह से दोषियों ने विवाहित की गला काटकर पशुवत तरीके से हत्या की उसमें साफ्ट जस्टिस अर्थात कोमल न्याय देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि दहेज की मांग में किसी बहू की हत्या की जाती है ते उसकी प्रत्येक व्यक्ति को निंदा करनी चाहिए। यदि यह सिद्ध हो जाए कि हत्या दहेज के लिए की गई तो दोषियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए।

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