13 में से 7 संन्यासी अखाड़ों के नागा साधु काशी जाएंगे
प्रयागराज । महाकुंभ का गुरुवार को 25वां दिन है। मेला 26 फरवरी तक चलेगा। हालांकि, तीनों अमृत स्नान पूरे होते ही, अखाड़े जाने की तैयारी करने लगे हैं। 13 में से 7 संन्यासी अखाड़ों के नागा साधु और संन्यासी यहां से काशी जाएंगे। अखाड़े 7 फरवरी से जाना शुरू करने वाले है। जबकि उदासीन के तीनों अखाड़ों के साधुओं ने जाना शुरू कर दिया है।
बैरागी के 3 अखाड़े भी एक-दो दिन में जाना शुरु करने वाले है। कुछ संत 12 फरवरी, माघी पूर्णिमा स्नान तक रुक सकते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि उनकी परंपरा के अनुसार, तीनों अमृत स्नान (मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी) के बाद वे काशी के लिए रवाना होते हैं। जाने से पहले अखाड़े के सदस्य कढ़ी-पकौड़ी बनाते हैं और इस प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। अन्य संस्थाएं और वैष्णव अखाड़े पूर्णिमा या शिवरात्रि तक रहते हैं, लेकिन उनके अखाड़े तीनों स्नान के बाद ही प्रस्थान कर जाते हैं। वह भी 7 फरवरी को यहां से प्रस्थान कर जाएंगे।
वहीं पंच अग्नि अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि हमारे तीनों अमृत स्नान हो चुके हैं। अब आगे 12 तारीख को पूर्णमासी का पर्व स्नान है, जो आम जनता और महात्माओं के लिए महत्वपूर्ण है। ये जो धर्मध्वज देख रहे हैं, उसकी 4 रस्सियों को तनी कहते हैं। समापन के समय, हम इन तनियों की पूजा करके, देवताओं को धन्यवाद देते हैं। सभी तनों यानी रस्सियों को सभी मढ़ियों (पुरी, गिरि, भारतीय, सरस्वती) के प्रमुख के द्वारा खोल दिया जाता है।
अग्नि अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री सोमेश्वरानंद बताते हैं कि कढ़ी पकौड़ी बेसन की, रास्ता देखो स्टेशन की यह स्लोगन इसलिए देते है कि जब सभी अखाड़े उठने वाले होते हैं, तब उससे पहले अखाड़ा में कढ़ी और पकौड़ी बनाई जाती है। इस खाने के बाद सभी अखाड़े काशी की तरफ प्रस्थान करते हैं।
इसी कड़ी में तपो निधि श्री आनंद अखाड़ा के प्रमुख बालकानंद महाराज ने बताया कि कुंभ में हमारे अखाड़ों की तीन अमृत स्नान की परंपरा है। हमारे तीनों अमृत स्नान हो चुके हैं, अब तपो निधि श्री आनंद अखाड़ा 7 तारीख को यहां से प्रस्थान करके बनारस (काशी) जाएगा। वहां पर एक महीने का प्रवास रहेगा। इस तरह पंचायती अखाड़ा महानिर्वाण, पंचायती आनंद, शंभू पंचायती अटल और दशनाम आवाहन अखाड़ा ने अपनी पैकिंग शुरू कर दी है। ये अखाड़े भी 7 फरवरी को काशी जाएंगे।
दरअसल महाशिवरात्रि के मौके पर अखाड़ों का भव्य जुलूस निकाला जाता है। वे महादेव काशी विश्वनाथ के दर्शन करते हैं। इस दौरान 3 घंटे के लिए मंदिर में आम लोगों का प्रवेश बंद रहता है और केवल दशनामी संन्यासी ही अंदर जा सकते हैं। काशी में ये सातों अखाड़े होली तक रहने वाले है। होली के बाद अखाड़ों के संत अपने-अपने मठ-मंदिरों में चले जाएंगे। यह परंपरा जगतगुरु शंकराचार्य जी के समय से चली आ रही है।