राजस्थान विधानसभा में पेश हुआ धर्मांतरण विरोधी विधेयक: कड़ी सजा का प्रावधान

राजस्थान विधानसभा में सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक “राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025” प्रस्तुत किया। इस विधेयक पर बजट सत्र में चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा। विधेयक के पारित होने की तिथि बाद में तय की जाएगी।

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने पर भी कलेक्टर को सूचना देना अनिवार्य होगा। इच्छानुसार धर्म परिवर्तन करने के लिए 60 दिन पहले कलेक्टर को सूचना देना आवश्यक होगा और यह प्रक्रिया अपनाना अनिवार्य होगी। विधेयक में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ भी प्रावधान किए गए हैं। विधेयक में ‘लव जिहाद’ को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के लिए विवाह करता है, तो इसे ‘लव जिहाद’ माना जाएगा। यदि यह प्रमाणित होता है कि विवाह का उद्देश्य धर्म परिवर्तन है, तो ऐसे विवाह को रद्द करने का प्रावधान किया गया है। पारिवारिक न्यायालय इस प्रकार के विवाह को अमान्य घोषित कर सकता है।

प्रस्तावित विधेयक में पहली बार गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन करवाने पर एक से पांच साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। यदि किसी नाबालिग या अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी-एसटी) का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता है, तो इसके लिए तीन से दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, समूह में धर्म परिवर्तन करवाने या बार-बार धर्म परिवर्तन करवाने पर भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

राजस्थान के संसदीय कार्य और कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने विधेयक पेश होने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य में धर्मांतरण विधेयक की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। उन्होंने बताया कि हमारे राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में यह विधेयक बेहद जरूरी था। प्रलोभन, कपटपूर्ण साधन या विवाह के जरिए धर्म परिवर्तन की घटनाओं को रोकने के लिए इसे लाया गया है। कई संस्थाएं और व्यक्ति आर्थिक प्रलोभन देकर या गलत प्रचार करके धर्म परिवर्तन करवा रहे थे। यह समस्या आदिवासी इलाकों समेत कई क्षेत्रों में देखी गई है। इन सभी गतिविधियों की रोकथाम के लिए यह विधेयक आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सख्त कानून बनने के बाद ऐसी गतिविधियां रुक जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में किसी भी बहन-बेटी या व्यक्ति के साथ अन्याय न हो और उनकी इच्छा के खिलाफ कुछ भी न किया जाए। मेरा मानना है कि इस सख्त कानून के कारण धर्म परिवर्तन की घटनाएं बंद हो जाएंगी।

हालांकि धर्मांतरण विधेयक पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक पेश किया गया है, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि इसके प्रावधान क्या हैं और क्यों इसकी आवश्यकता महसूस हुई। अगर सरकार को लगता है कि कोई संस्था या व्यक्ति जबरन धर्म परिवर्तन करवा रहा है, तो ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। स्थिति को स्पष्ट करना जरूरी है लेकिन सरकार अन्य जरूरी मुद्दों की अनदेखी करते हुए धर्मांतरण विधेयक के नाम पर प्रचार कर रही है।

उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान वर्ष 2008 में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पेश किया गया था, लेकिन यह विवादों में घिर गया। इसके बाद राज्यपाल ने इस विधेयक को रोक दिया। केंद्र सरकार ने इसके कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई, जिसके चलते यह विधेयक केंद्र और राज्य के बीच अटका रहा। पिछले साल अशोक गहलोत सरकार ने इस विधेयक को केंद्र से वापस ले लिया। अब वर्तमान सरकार राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 लेकर आई है।

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