मधुमक्खी पालन कर बेरोजगारों ने लिखी सफलता की कहानी, युवाओं के लिए बने प्रेरणा के स्रोत

  • युवाओं के लिये बन गए यह बेरोजगार प्रेरणा
  • बिहार से व्यापारी आकर खरीद ले जाते हैं शहद
  • पूरे साल में कमाते है सात से आठ लाख रूपया

सीतापुर। जिले के पिसावां में दो सगे भाई स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब सरकारी नौकरी नहीं मिली तो खुद का अपना मधुमक्खी का पालन किया और आज वह शहद के व्यापारी बन गए। शहद निकाल कर व्यापार करने वाले दो भाई शिक्षित युवाओं के लिये प्रेरणा बने हुये है। जिला के मिश्रिख ब्लाक के तेलियानी गांव निवासी दुर्गेश पाल व अभिषेक पाल सगे दो भाई है।

वह दोनों बीएससी तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद सरकारी नौकरी के पाने के लिये आवेदन किया जब नौकरी नहीं मिली तो हार मान कर खुद का मधुमक्खी का पालन कर अपना व्यापार करनें की सोंच बना ली। दोनों भाईयों ने बताया कि उनके चाचा मधुमक्खी पालन का कार्य करते है। जिनको गुरु बना कर दस वर्ष पूर्व उनसे शिक्षा ली तथा पंजाब से 60 हजार रूपये के 20 बाक्स मधुमक्खी के ले आये थे। आज 300 बाक्स मधुमक्खी के हो गए है।

उन्होंने बताया कि हर वर्ष 7 से 8 लाख रूपया का शहद बिक्री कर लेते है। वह दोनों स्वयं आत्म निर्भर बन कर शिक्षित युवाओं के लिये मिशाल बन गए है। दोनों भाई दुर्गेश पाल व अभिषेक पाल ने बताया कि शहद को कही ले जाना नहीं पडता। बिहार से शहद के कारोबारी आ कर शहद 170 रूपया प्रति किलो के हिसाब से खरीद लेते है।

इस विषय पर जिला उद्यान अधिकारी राजश्री ने बताया कि अपना व्यापार करने के लिये युवाओं को सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है तथा छूट भी दी जाती है। उन्होंने बताया सरकार द्वारा अप्रैल माह से 30 प्रेतिशत और बढेगी बताया इसके लिये पहले रजिस्ट्रेशन कराया जाता है।

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