कोलकाता: पश्चिम बंगाल में गुलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में कहा था कि इस बीमारी को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह न तो कोई नई बीमारी है और न ही दिसंबर 2023 के बाद से कोई नया मामला सामने आया है। लेकिन इसी बीच, बुधवार को इस बीमारी से एक नाबालिग छात्र की मौत की खबर से स्थिति उलझनभरी हो गई है।
इस नाबालिग की मौत के पीछे गुलेन बैरे सिंड्रोम को कारण बताया जा रहा है, लेकिन राज्य स्वास्थ्य विभाग या अस्पताल प्रशासन की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मृतक की उम्र 10 साल थी और वह उत्तर 24 परगना जिले के जगतदल का निवासी था।
इसी के साथ, मंगलवार को भी उत्तर 24 परगना के आमडांगा में रहने वाले 17 वर्षीय एक अन्य नाबालिग की मौत की खबर आई थी, जिसमें गुलेन बैरे सिंड्रोम को संभावित कारण माना जा रहा है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने सीधे तौर पर इसे जीबीएस से हुई मौत नहीं बताया, बल्कि सेप्टिक शॉक और मायोकार्डिटिस को वजह बताया। हालांकि, यह जरूर कहा गया कि जीबीएस एक संभावित अंतर्निहित स्थिति हो सकती है।
मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने कहा कि गुलेन बैरे सिंड्रोम न तो पश्चिम बंगाल में नया है और न ही देश में। उन्होंने बताया कि पहले भी कभी-कभी इस बीमारी के मामले सामने आते रहे हैं।
स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा कि राज्य में दिसंबर के बाद से इस बीमारी के नए मामलों की पुष्टि नहीं हुई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस दावे की पुष्टि की है। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग की विशेष मेडिकल टीमें हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
गुलेन बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला कर देती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी और कभी-कभी लकवे की स्थिति बन सकती है। फिलहाल, इस बीमारी को लेकर राज्य में स्वास्थ्य अधिकारियों की सतर्कता जारी है।