क्या है संगम नोज ? क्यों अखाड़े करते हैें इसी स्थान पर स्नान

Seema Pal

महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार प्रयागराज (जिसे इलाहाबाद भी कहा जाता है) में आयोजित होता है। यह मेला हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इसका मुख्य आकर्षण संगम पर स्नान करना होता है, जो गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर होता है। संगम पर स्नान करने का धार्मिक महत्व है, इसे पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता माना जाता है।

संगम नोज (Sangam Nauj) क्या है?

महाकुंभ में स्नान करना एक बहुत ही महत्वपूरण धार्मिक कार्य माना जाता है, और यह लोगों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव होता है। संगम नोज, या संगम की ओर जाने वाली जगह, वह स्थान है जहां लोग पवित्र संगम में स्नान करने के लिए जाते हैं।

संगम नोज वह स्थान है जहाँ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर कुम्भ मेला के दौरान, जब लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हैं। संगम नोज उस स्थान को कहा जाता है, जहां संगम से पहले नदियाँ मिलती हैं।

अखाड़े संगम नोज (या संगम तट) पर स्नान करने की परंपरा का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। संगम, जहां गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों का मिलन होता है, उसे हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यह स्थान विशेष रूप से कुम्भ मेला जैसे बड़े धार्मिक आयोजन के दौरान एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाता है।

संगम पर स्नान करने से लोगों का विश्वास है कि इससे उनके पाप धुल जाते हैं और वे मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं। यह स्नान एक आध्यात्मिक सफाई का प्रतीक है, जिसे लोग आत्मिक शुद्धता और आशीर्वाद के रूप में मानते हैं।

अखाड़ों का संगम तट पर स्नान करना एक परंपरा है, जो साधु-संतों और भक्तों की आस्था और समर्पण का प्रतीक है। यहाँ के जल को पवित्र मानकर हर व्यक्ति अपने जीवन के कष्टों और पापों से मुक्ति पाने की इच्छा से स्नान करता है।

संगम स्नान कैसे करते हैं?

संगम में स्नान करने का तरीका सरल होता है, लेकिन इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करना जरूरी होता है। यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है…

  1. पहले शुद्धता: सबसे पहले व्यक्ति को शुद्ध होने के लिए गंगा के पानी से स्नान करना चाहिए।
  2. अर्चना और पूजन: स्नान से पहले या बाद में, कुछ लोग पूजा और अर्चना करते हैं। कुछ लोग विशेष रूप से अपने पितरों की पूजा करने के लिए भी आते हैं।
  3. संगम में डुबकी: श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं, जिसमें तीनों नदियों का मिलाजुला पानी होता है। यह मान्यता है कि संगम में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  4. दुआ और आशीर्वाद: स्नान के बाद लोग अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए दुआ मांगते हैं।

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