केले के साथ सहफ़सली खेती से मालामाल हो रहें बाराबंकी के युवा

भास्कर ब्यूरो

बाराबंकी जिले में आज क़े समय मे किसान खेती किसानी क़ो आमदनी का मुख्य जरिया मान रहे है यही वजह है किसान एक ही खेत मे कई तरह की फसलों की खेती करके बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं। दरअसल सहफसली खेती में एक ही खेत में कई फसलें उगाने की तकनीक है। मुख्य फसल की कतारों के बीच में जल्दी पकने और बढ़ने वाली धनी फसलें बोई जा सकती हैं।

सीजन के तौर पर मुख्य फसलों के साथ सहफसलों को लेने से किसानों को उनकी जमीन में न केवल कुल उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलती है बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में नुकसान कम होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इससे अलग-अलग खेती की लागत में कमी आती है जिससे किसान सहफसली की खेती करके लाखों रुपए एक फसल पर मुनाफा कमा रहे हैं।

वहीं, सहफसली खेती में पत्ता गोभी की फसल उगाने से केले की फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, बल्कि केला आम तौर पर बड़ा और गुणवत्तायुक्त हो जाता है। पत्ता गोभी की फसल एक से डेढ़ महीने की होती है जबकि केला लगभग 12 से 14 महीने में तैयार हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक केले की फसल में अन्य फसलों की खेती काफी फायदेमंद हैं।

बाराबंकी जिले के पल्हरी गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान आनंद मौर्य ने कई साल पहले सहफसली की खेती की शुरुआत की जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ आज वह करीब डेढ़ एकड़ से ज्यादा की जमीन पर केला पत्ता गोभी की खेती कर रहे हैं इस खेती से लगभग उन्हें 3 से 4 लाख रुपए एक फशल पर मुनाफा हो रहा है।

सहफसली की खेती कर रहे किसान आनंद मौर्य ने बातचीत में बताया, “वैसे तो सहफसली की खेती करीब 2 सालो से कर है। सबसे पहले हमने केला के साथ में खेती की शुरुआत की थी। जिसमें हमें अच्छा फायदा देखने को मिला। आज करीब डेढ़ एकड़ में केला पत्ता गोभी की खेती कर रहें हैं। इस खेती से हमें एक ये फायदा है कि ये जो हमारा केला है, इसे करीब 12 से 14 महीने का समय पकने में लग जाता है। तैयार होने में ऐसे में इसमें जो हमारी लागत लगती है वह मेंथा और पत्ता गोभी से निकल आती है, जिससे केले की फसल फ्री हों जाती है। इस समय मेरे पास केले मे पत्ता गोभी लगी हुई है जिसमें हमें सरकार की तरफ से अनुदान भी मिला है जिससे हमारी लागत देखी जाय न के बराबर है वही मुनाफा करीब 3 से 4 लाख रुपए तक आराम से हो जाता है वही पत्ता गोभी की फसल एक से डेढ़ महीने तक चलेगी फिर इसमें हम दूसरी फसलों की बुवाई की जा सकती है जब तक केला तैयार नही हो जाता हैं।”

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