ईरान की एक अदालत ने पॉप सिंगर और रैपर आमिर तातालू को मौत की सजा सुनाई है। उन पर पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने, वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने और अन्य धार्मिक व सामाजिक आरोपों के तहत मुकदमा चलाया गया था। तातालू, जिनके गाने और वीडियो सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं, को ईरानी सरकार और धार्मिक नेताओं के खिलाफ अपने बयानों और कार्यों के कारण विवादों का सामना करना पड़ा।
पॉप सिंगर आमिर ततालू पर लगे ये आरोप
- अदालत ने तातालू पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी कुछ पोस्ट्स और गीतों में पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया, जो ईरान के इस्लामिक कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है।
- तातालू के खिलाफ यह आरोप भी लगाया गया कि उनके गीतों और वीडियो में वेश्यावृत्ति और अन्य आपत्तिजनक विषयों को बढ़ावा दिया गया, जो ईरान के नैतिक और धार्मिक मानकों के खिलाफ है।
- तातालू के अन्य कार्यों, जिनमें उनके संगीत वीडियो और व्यक्तिगत बयानों के माध्यम से समाज में पश्चिमी जीवनशैली को बढ़ावा देना भी शामिल था, ने उन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक आलोचनाओं का सामना कराया। ईरान में पश्चिमी संस्कृति को अवैध और भ्रष्ट माना जाता है, और इस प्रकार के कार्यों को अक्सर सजा के योग्य समझा जाता है।
पॉप सिंगर आमिर तातालू, जो एक पॉप सिंगर और रैपर हैं, ने कई विवादित गाने और वीडियो बनाए हैं, जिनमें कुछ को पश्चिमी संगीत शैली के साथ मिश्रित किया गया था। उनकी लोकप्रियता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहुत अधिक थी, खासकर युवाओं के बीच, जहां वे अपनी मुखरता और साहसिकता के लिए जाने जाते थे। उनका संगीत अक्सर ईरान के कड़े धार्मिक नियमों और मानदंडों के खिलाफ होता था, जिससे वह विवादों में फंसे रहे।
पॉप सिंगर आमिर तातालू ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का विरोध किया और दावा किया कि उनका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं था। उनका कहना था कि उनका संगीत केवल स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी प्रकार का धार्मिक या सांस्कृतिक अपराध नहीं करना चाहते थे, बल्कि अपने विचारों को व्यक्त कर रहे थे।
ईरान में इस्लामिक कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति द्वारा धार्मिक प्रतीकों या शख्सियतों का अपमान करना या उन्हें बदनाम करना एक गंभीर अपराध माना जाता है। ईरान की सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वे इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे, और इस मामले में तातालू को दी गई मौत की सजा ने इस बात को और स्पष्ट कर दिया है। ईरान के धार्मिक नेता और न्यायिक अधिकारी यह दावा करते हैं कि यह कदम देश के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए लिया गया है।
ईरान में तातालू की सजा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी निंदा की है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि तातालू का अपराध केवल विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के कारण है, और यह सजा अत्यधिक और असंवैधानिक है। इसके अलावा, इस फैसले को लेकर पश्चिमी देशों में भी चिंता जताई गई है, जिनका मानना है कि यह कदम ईरान की संप्रभुता और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
आमिर तातालू के खिलाफ ईरान के न्यायालय का यह फैसला इस बात का प्रतीक है कि इस्लामिक गणराज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक नियमों को लेकर कितना सख्त रुख अपनाया जाता है। हालांकि तातालू का बचाव करना और उनकी सजा को लेकर बहस जारी रहेगी, लेकिन यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि ईरान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ सरकार का रुख कितना कठोर है।