महाकुंभ : विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिन्द परान्डे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का यह सर्वोत्तम समय है। परम्परा,सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए हिन्दुओं को एक साथ आना होगा और अपनी विरासत को पुन: प्राप्त करना होगा। यह आवश्यक है कि हिन्दू अपने मंदिरों को सरकारों से वापस प्राप्त करें और उनका कायाकल्प करें।
मिलिन्द परान्डे ने कहा कि दंत कुंभ का कार्यक्रम विहिप के शिविर में चल रहा है। महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं के दांतों का इलाज यहां पर हो रहा है। विहिप संतों के मार्गदर्शन में ही करती है। इसलिए संतों के अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम हैं। केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक 24 जनवरी को है। बाद में दो दिन संत सम्मेलन है। इसके बाद युवा संतों का सम्मेलन और साध्वियों का सम्मेलन है। विहिप की अखिल भारतीय बैठक 06 फरवरी से 09 फरवरी तक चलेगी। विहिप बड़े पैमाने पर गोरक्षा का काम करती है। गौवंश को कसाईयों के हाथ से गोवंश को छुड़ाने वाला विहिप के युवा विभाग बजरंग दल है। इन सारे काम में जो कार्यरत है। ऐसे हजारों कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन यहां होने जा रहा है। अनेक शक्तियां हिन्दू समाज में भेद निर्माण करने का प्रयत्न कर तोड़ने का प्रयास कर रही हैं। इसलिए सामाजिक समरसता का विषय लेकर एक बड़ी बैठक यहां पर होगी। साथ ही पहली बार विहिप के परिसर में बौद्ध सम्मेलन होगा।
मिलिन्द परान्डे ने कहा कि कुंभ आध्यात्मिक एकत्रीकरण का स्थान है। आपस में मिलना अलग-अलग परम्पराओं के संतों का मिलना शैव जैन सिख बुद्ध इन सभी परम्पराओं का जन्म इसी पुण्यभूमि में हुआ है। इसलिए यह सामान्य प्रक्रिया है। संघर्ष के कालखण्ड में यह चर्चा बंद हो गई थी। पहले भी विहिप के सम्मेलनों में बौद्ध लामा व पूज्य दलाईलामा आते रहे हैं। इस बार भी उनके प्रतिनिधि उनका संदेश लेकर आएंगे। बौद्ध सम्मेलन में अलग-अलग बौद्ध परम्पराओं के विदेश के और भारत के अंदर के बौद्ध भंते और बौद्ध लामा यहां आ रहे हैं। भारत के अलावा रूस,कोरिया,थाईलैंड,वर्मा, तिब्बत,नेपाल व श्रीलंका समेत कई देशों के बौद्ध भंते और लामा यहां आ रहे हैं।