Mp News: शुगर फैक्ट्री के श्रमिकों का वेतन वसूलने के लिए कोर्ट ने दिए आदेश

सीहोर में बंद पड़ी शुगर फैक्ट्री की प्रापर्टी को अवैध रूप से बेचा जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेशो की अवहेलना कर बी.एस.आई रियलटर्स को अलग कंपनी बताकर भारी फर्जीबाड़ा किया जा रहा है। शासकीय अधिकारी और रजिस्टार भी इस मजदूर विरोधी कार्य में पूरा साथ दे रहे है।

बी.एस.आई लिमिटेड प्रबंधक द्वारा शुगर फैक्ट्री को फरवरी 2002 से असंवैधानिक रूप से बंद कर दिया जिस कारण कम्पनी के लगभग 6 सौ श्रमिक परिवार बेरोजगार होकर भूखमरी की कगार पर है और इस बीच हमारे 60-70 श्रमिक पैसे के अभाव में मर गये है शासन प्रशासन मजदूरों का बकाया करोड़ों रूपये वेतन को दिलाने में सक्रियता नहीं दिखाता है, लेकिन श्रमिको को बेघर करने के लिए नोटिस दे रहा है। जबकी शुगर फैक्ट्री प्रबंधन पर श्रमिकों को एक अरब सात करोड़ रूपये बकाया है।

श्रमिकों मिलेगा वेतन उसी संपत्ति को बेच रहे

बीएसआई श्रमिक संगठन अध्यक्ष जमील बहादुर ने बताया की कंपनी की फामों की कृषि भूमि को शासन की घोषित कर दी है। शासकीय व न्यायालीन आदेशों के परिलपालन में श्रमिकों का लगभग सौ करोड़ से अधिक रूपए की लेनदारी बनती है। जो कंपनी की प्रापर्टी से ही वसूल किया जा सकता है और इस 150 एकड भूमि को सीलिंगमुक्त बताई जा रही है। उसी से सारी लेनदारियों वसूल होना है जिसे कंपनी फर्जीबाड़ा कर बेचा जा रहा है।

भुगतान करने के आदेश कोर्ट ने दिए

फैक्ट्री प्रबंधन के द्वारा की गई अवैधानिक तालाबंदी को म.प्र. शासन श्रम विभाग ने अवैध घोषित किया है और श्रमिको को काम पर मानते हुए पूर्ण वेतन के भुगतान के आदेश 21 मार्च 2002 को ही कर दिए है। जिसका पालन प्रबंधक द्वारा आज तक नहीं किया गया है। प्रबंधन द्वारा औधोगिक न्यायालय खण्डपीठ भोपाल में की गई अपील भी कई बार कोर्ट ने खारिज कर दी है। उच्च न्यायालय जबलपुर में की गई अपील भी खारिज हुई है और मजदूरों को पूर्ण भुगतान करने के आदेश कोर्ट ने दिए है।

ईओडब्ल्यू ने की है जांच

कोर्ट के किसी आदेश को न मानते हुए निरन्तर कम्पनी के द्वारा प्रापर्टी को खुर्द-बुर्द किया गया है। जिस के बाद हमारे द्वारा आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू में शिकायत की गई जिस पर जांच उपरान्त योगेश वाधवाना, किरन वाधवाना, मतिन वाधवाना श्रीमति भारती वाधवाना सहित कृषि संचालक म.प्र. शासन के द्वारा बैंकों द्वारा दिए 150 करोड़ के लोन में हेरा-फेरी पाई गई है यह मामला कोर्ट में है।

कंपनी नहीं करती कानून का पालन

यही नहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव आडिट कराया जिसमें भी चौरानवे करोड़ उन्नीस लाख रूपये का फंड का गबन का मामला पकड़ा गया। तबश्रमिकों के अनुरोध पर म.प्र. उच्च न्यायालय द्वारा कंपनी की प्रापर्टी को सुरक्षित रखने के आदेश दिए गए। इस प्रकार तब तक श्रमिकों को पूर्ण भुगतान नहीं किया जाता है जबतक शुगर फैक्ट्री की चल अचल संपत्ति को बेची नहीं जा सकता है। कोर्ट ने कंपनी की चल-अचल संपत्तियों को अपने पजेशन में लिया है किन्तु कंपनी द्वारा कानून का पालन नहीं किया जा रहा है।

प्रशासन बंद कराए कार्रवाही

बीएसआई श्रमिक संगठन इंटक अध्यक्ष जमील बहादुर, महामंत्री जयमल सिंह राजपाल और सचिव राममोहन श्रीवास्तव सहित समस्त श्रमिकों और उनके परिजनों ने जिला कलेक्टर से श्रमिक हित में शासकीय और न्यायालीन आदेशो का पालन सुनिश्चित करते हुए इस अवैध कंपनी की संपत्तियों की बिक्रियों पर रोक लगाने की मांग है।

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