Paush Purnima: पौष पूर्णिमा से शुरू होंगे महाकुम्भ के पवित्र स्नान, आकाश से बरसेगा अमृत, जानें धार्मिक महत्व

महाकुम्भ नगर । पौष पूर्णिमा से प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ मेले में पवित्र स्नानों की श्रृंखला का शुभारम्भ हो रहा है। पौष पूर्णिमा इस बार सोमवार को पड़ने वाली जो बेहद खास है, सोमवार चन्द्र ग्रह का दिन है और चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि को अपनी सभी कलाओं से युक्त होकर सोम तत्व का जल में सृजन करेगा। पौष पूर्णिमा पर्व का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है, इस दिन से माघ मास के पवित्र स्नान का शुभारम्भ होता है।

महाकुम्भ में दूर-दराज से आए हुए अधिकांश श्रद्धालु माघ मास में पौष पूर्णिमा से संगम तट पर निवास कर एक महीने का कल्पवास व्रत प्रारंभ करेंगे। बताते चलें, महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा।

स्नान-दान का शुभ मुहूर्तआचार्य अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार, पौष माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 13 जनवरी 2025 को सुबह 5 बजकर 3 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि का समापन 14 जनवरी को भोर 3 बजकर 56 मिनट पर होगा। उदयातिथि के मुताबिक, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 5 बजकर 4 मिनट पर होगा। पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा और सुबह 6 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं पौष पूर्णिमा के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। ये दोनों ही मुहूर्त स्नान के लिए अति शुभ है।

पूर्णिमा को स्नान दान का विशेष महत्वधर्मशास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा को स्नान-दान का विशेष महत्व वर्णित है, जो व्यक्ति पूरे माघ मास के लिए स्नान का व्रत धारण करते हैं वह अपने स्नान का प्रारंभ पौष पूर्णिमा से शुरू कर माघी पूर्णिमा को समापन करते हैं। इस दिन स्नान के पश्चात मधुसूदन भगवान की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयत्न किया जाता है, जिससे मधुसूदन की कृपा से मृत्योपरान्त भक्त को स्वर्ग में स्थान मिल सके, ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं।

ग्रह नक्षत्रों की विशेष स्थिति में अमृत वर्षा पौष पूर्णिमा के सुअवसर पर ग्रह नक्षत्रों की विशेष स्थिति, चन्द्र आदि ग्रहों के माध्यम से अमृत वर्षा कर स्नान आदि करने वालों को निरोगी काया सहित पुण्य लाभ प्रदान करती है। सौ हजार गायों का दान करने का जो फल होता है, उससे अधिक पुण्य फल तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ के दौरान माघ मास में तीस दिन (एक मास) स्नान करने का होता है। माघ मास में स्नान, दान, उपवास व भगवान माधव की पूजा अत्यंत फलदायी बताई गई है।

महाकुम्भ के पवित्र स्नान13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा14 जनवरी (मंगलवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), मकर सक्रांति29 जनवरी (बुधवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), मौनी अमावस्या3 फरवरी (सोमवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), बसंत पंचमी12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा26 फरवरी (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि

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